भारत में भगवान महाबली हनुमान के करोड़ों भक्त हैं, इसके अलावा विदेशों में भी भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान किया जाता है। लेकिन क्या आप किसी लंगूर मेले के बारे में जानते हैं? जी हां पंजाब राज्य के अमृतसर में एक बेहद बड़ा हनुमान जी का मंदिर स्थापित है। जहां पर देश-विदेश के बच्चे अपने अभिभावकों के साथ आते हैं और लंगूर मेले में लंगूर का गेट अप पहनते हैं। इस मंदिर की यही खासियत है कि यहां नवरात्र के पहले दिन से दशहरे तक बच्चे लंगूर का रूप धारण करते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार इस मेले में बेहद कम भीड़ आ रही है लेकिन फिर भी अब तक 3000 बच्चे लंगूर बनकर भगवान हनुमान के समक्ष नतमस्तक हो चुके हैं। इसके अलावा अभिभावकोंन ने अपने बच्चों के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा है और कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग तथा मास्क का प्रयोग करवाया है।
इस मंदिर के बारे में यह आस्था मानी जाती है कि यदि किसी दंपत्ति को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो वह यहां आकर मुराद मांगता है और यदि उसके संतान उत्पन्न हो जाती है। तो बाद में वह अपने बच्चे को लेकर इस लंगूर में लेने आता है और अपने बच्चे को लंगूर की तरह सजाता है। लेकिन आप सभी सोच रहे होंगे कि यहां पर यह लंगूर मेला क्यों लगता है?
तो यह माना जाता है कि यहां पर भगवान हनुमान का रामायण कालीन युग से मंदिर है इस मंदिर में हनुमान जी की बैठी अवस्था में मूर्ति है। यह भी कहा जाता है कि भगवान हनुमान की मूर्ति को लव कुश ने स्वयं बनाया था। इसी मंदिर में एक बट का वृक्ष भी मौजूद है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि जब राम जी की सेना के साथ लव कुश का युद्ध हुआ था तो हनुमान जी को इसी वृक्ष से बांधा गया था। यहां पर भगवान राम को उनकी संतानों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था इसीलिए यह कहा जाता है कि यहां पर जो भी व्यक्ति संतान की कामना करता है तो उसकी यह कामना जरूर पूरी होती है।
इस मेले में लंगूर बने बच्चे ढोल की थाप पर नाचते हुए दिखाई देते हैं। यहां पर अभिभावक अपने बच्चों को लंगूर बना कर लाते हैं और अपने बच्चों को भगवान हनुमान के सामने नतमस्तक कर आते हैं। लोगों की आस्था देखकर बहुत सारे लोग इस पर सवाल भी उठा सकते हैं। लेकिन यही भारत की खूबसूरती है। पर इसी आस्था के बल पर हम अभी तक जीवित हैं जबकि हमारे ऊपर कई विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण किया है।