अलग-अलग देशों में रहकर नौकरी करने वाले माधुरी और मैकेनिकल इंजीनियर वेणुगोपाल मुल्तान हैदराबाद के रहने वाले हैं। कई सालों तक विदेशों में रहने के बाद उन्होंने यह सोचा क्यों ना हमें अपने देश लौटकर कोई बड़ा व्यापार शुरू करना चाहिए? एक बार माधुरी ने हैदराबाद में अपनी सोसाइटी के बाहर प्लास्टिक की प्लेट और कटोरिओं का ढेर देखा, जहां पर गाय उनमें कुछ भोजन ढूंढ रही थी। कुछ दिन बाद उन्हें यह पता चला कि प्लास्टिक खाने की कार्य एक गाय की मौत हो गई। इस घटना से दोनों को बहुत दुख हुआ और इसके बाद उन्होंने प्लेट कटोरी ओं का कोई इको फ्रेंडली विकल्प तलाशने का निर्णय लिया।
इस तरह 2019 में उन्होंने विसत्राकू की शुरुआत की जहां माधवी और वेणु साल, सियाली और 50 के पत्तों से 7 तरह की इको फ्रेंडली प्लेट और कटोरी तैयार करके पर्यावरण के संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। विसत्राकू का तेलुगू भाषा में अर्थ पत्तल होता है। वेणुगोपाल बताते हैं विस्तरकू की शुरुआत में 2 साल पहले ही हुई है। पहले साल में बमुश्किल 3 लाख का बिजनेस हुआ। लेकिन इस फाइनेंसियल ईयर में हम 20 लाख रुपए का बिजनेस कर लेंगे। अभी तक हम 15 लाख का बिजनेस कर चुके हैं। पिछले महीने में ही हमें यूएसए बड़ा ऑर्डर मिला है और एक कंटेनर माल हमने यूएस भेजा है। उनकी यूनिट में गांव की 7 लड़कियां काम कर रही हैं।
इस यूनिट में हर दिन करीब 7000 लीफ प्लेट्स और कटोरिया बनती हैं। इसके प्रोसेस के बारे में वेणुगोपाल बताते हैं। इसमें सबसे पहले पत्तों को food-grade धागे से चला जाता है और उन्हें फूड ग्रेड कार्ड बोर्ड के साथ मशीन के नीचे रख दिया जाता है। मशीन का तापमान 7 से 90 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होता है और 15 मिनट के प्रेशर में एक प्लेट के हो जाते हैं।