राजस्थान में कांग्रेस के लिए सियासी संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। जिस तरह से प्रदेश में सियासी बाजार गर्म है, उसे देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि राज्य में किसी भी समय सरकार गिर सकती है। राजस्थान में मौजूदा हालात ठीक उसी तरह के बन चुके हैं। जैसे मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बग़ावती सुर के बाद बन गए थे। कांग्रेस के लिए वजह इस बार भी वही है, बस नाम बदल चुका है।
कांग्रेस के लिए राजस्थान में इस बार वजह सचिन पायलट हैं, जिन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावती सुर छेड़ दिए हैं। राजस्थान सरकार में डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बिगुल बजा दिया है।
कांग्रेस ने कार्यवाही करते हुए पायलट को उनके डिप्टी सीएम के पद से भी हटा दिया है। पायलट के 30 विधायकों के समर्थन के दावे के बाद से ही गहलोत सरकार अल्पमत में थी। हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पायलट बीजेपी का दामन थामने वाले हैं या नहीं? लेकिन डिप्टी CM की कुर्सी जाने के बाद सचिन पायलट बीजेपी का रुख भी कर सकते हैं।
सचिन पायलट द्वारा CM अशोक गहलोत के खिलाफ यूं मोर्चा खोलने के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि 2018 विधानसभा चुनाव के बाद कथित तौर पर गहलोत सरकार से नाराज़ चल रहे सचिन पायलट अचानक बगावत करने पर उतारू क्यों हो गए? वो नाराज़ क्यों हुए? और इस पूरे मामले की असल वजह क्या है?
कभी पायलट के करीब नहीं आए गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीजेपी पर लगातार आरोप लगा रहे हैं कि राज्य में भाजपा उनकी सरकार गिराने की कोशिश में लगी हुई है। लेकिन गहलोत इस बात को मानने को तैयार ही नहीं हैं कि उनकी सरकार में डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट की नाराजगी की वजह और कोई नहीं बल्कि खुद वही हैं। गहलोत और सचिन पायलट के बीच मनमुटाव किसी से छिपा नहीं है। ये पूरा विवाद राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा सचिन पायलट को नोटिस देने के बाद और बिगड़ गया।
दरअसल SOG ने 2 भाजपा नेताओं को गिरफ्तार किया। जिसमें इस बात को कहा गया कि नेताओं के बीच डिप्टी सीएम के सीएम बनने की बात चल रही है। जिसे लेकर SOG ने सचिन पायलट को नोटिस भी जारी कर दिया। नोटिस मिलते ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच तनातनी और बढ़ गयी।
पायलट की बगावत की जिम्मेदार कांग्रेस खुद
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच राजनीतिक खींचतान की असल वजह 2018 विधानसभा चुनाव को ही माना जाता है। गहलोत और कांग्रेस कभी सचिन पायलट को पार्टी में कोई बड़ा दायित्व देने को तैयार नहीं थी। सचिन पायलट भी शायद इस बात को अच्छे से समझ चुके थे। 2013 विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत के रहते जिस कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। उसे सचिन पायलट ने अपने दम पर 2019 विधानसभा में कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता की चाभी फिर से सौंपी। लेकिन शायद कांग्रेस को कभी उनकी काबिलियत पर भरोसा ही नहीं था।
क्या इसमें CM गहलोत की कोई साजिश तो नहीं?
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि कहीं इस पूरी कहानी के पीछे सीएम गहलोत का कोई षडयंत्र तो नहीं है? बात साफ है कि सचिन पायलट का कद कुछ ही सालो में पार्टी में काफी बढ़ गया था। राज्य की जनता उनके साथ थी। राजस्थान में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की आवाजें उठने लगी थीं। ऐसे में कहीं न कहीं अशोक गहलोत को इस बात का डर सताने लगा होगा कि सचिन पायलट सीएम पद की दावेदारी पेश न कर दें।
इसके अलावा सचिन पायलट के खिलाफ SOG की कार्यवाही इस बात की गवाही देती है कि गहलोत सरकार सचिन पायलट को पार्टी से बाहर करने की कोई बड़ी साजिश रच रही है। अंत में वही हुआ, सचिन पायलट ने विधायकों के समर्थन का दावा किया लेकिन अब सचिन पायलट गहलोत सरकार के बुने जाल में बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे हैं।