इंडिया टुडे के कॉन्क्लेव में ममता बनर्जी पर बरसे भारत के गृहमंत्री, कहा, “मैं ममता बनर्जी की सरकार को उखाड़ने आया हूं संभालने नहीं!”

पश्चिम बंगाल चुनाव के बीच इंडिया टुडे का कॉन्क्लेव आयोजित किया गया जिसमें भारत के गृह मंत्री अमित शाह भी पहुंचे। गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं ममता की सरकार को उखाड़ने आया हूं संभालने नहीं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार बिल्कुल भी ठीक से कार्य नहीं कर रही है।

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चित्र साभार: ट्विटर @BJP4India

पश्चिम बंगाल चुनाव के बीच इंडिया टुडे ने एक कॉन्क्लेव आयोजित किया जिसमें राजनीतिक क्षेत्र की कई प्रमुख हस्तियां पहुंची। इसी कार्यक्रम में भारत के गृह मंत्री अमित शाह जी पहुंचे अमित शाह ने आज तक के प्रमुख एंकर रोहित सरदाना के सवालों का गंभीरता से जवाब दिया और उन्होंने ममता बनर्जी की सरकार पर जोरदार हमला बोला!

मैं ममता बनर्जी की सरकार को उखाड़ फेकूंगा : अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि, “मैं बंगाल में ममता सरकार को उखाड़ने ही आया हूं… संभालने नहीं आया हूं… यहां बीजेपी की सरकार तभी आ सकती है, जब टीएमसी सरकार को उखाड़कर फेंक दिया जाए। ममता जी की सरकार ठीक से नहीं चल रही है, जनता इस सरकार को उखाड़कर फेंक देगी। हमारी ममता दीदी से कोई कड़वाहट नहीं है। मगर उनके राज में भ्रष्टाचार हो रहा है उससे उन्हें चिढ़ होती है तो कोई क्या कर सकता है।”

दागी नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर भी गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछे गए। गृह मंत्री ने इसके जवाब में कहा, “बीजेपी में आए नेताओं पर चल रहे मामले खत्म नहीं हुए। किसी को भी पार्टी में शामिल करने से पहले तीन स्तरों पर जांच की जाती है। उसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उसे अप्रूव करते हैं। अमित शाह ने हिंसा पर बात करते हुए कहा,”बीजेपी की सरकार आएगी तो पाताल से भी टीएमसी के गुंडों को खोज निकालेंगे।”

अमित शाह ने कहा, “परिवर्तन यात्रा नाम रखने के पीछे बीजेपी का मकसद केवल मुख्यमंत्री, सत्ता या किसी मंत्री को बदलना नहीं है। हमारा मकसद है बंगाल की स्थिति में बदलाव लाना है।स्थिति में बदलाव तब होता है, जब जन जन के अंदर इच्छा और आकांक्षा हम जगाएं कि लोकतांत्रिक तरीके से जो गलत चल रहा है, उसको रोके और कुछ अच्छा करें। मुझे लगता है कि बंगाल में सरकार बनाने के बाद हिंसा की संस्कृति बदल जाएगी। यह बंगाल की संस्कृति नहीं है, लेकिन पिछले 30-35 वर्षों में इस संस्कृति का विकास हुआ है।”

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