राजस्थान में पिछले कई सालों से बजरी खनन पर रोक जारी है। इसके बावजूद राज्य में बजरी माफिया सक्रिय हैं और बेहद ही आसानी से बजरी का खनन और परिवहन किया जा रहा है। खुद सीएम अशोक गहलोत इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि बजरी का खनन और परिवहन नहीं होना चाहिए और ऐसा करने वाले लोगों पर कार्यवाही की जानी चाहिए।
बजरी खनन मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी यानि सीईसी का गठन किया गया है। यह कमेटी राज्य सरकार, एनजीओ समेत अन्य प्रतिनिधियों से इस विषय पर चर्चा करेगी और अपने सुझाव सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेगी। कमेटी की बैठक 5 मार्च को होगी। बता दें कमेटी को सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह का समय दिया हुआ है। राज्य में अवैध बजरी खनन और परिवहन को लेकर सभी जिलों के कलेक्टर्स को त्वरित कार्यवाही के निर्देश मिले हैं।
बता दें राज्य में बजरी खनन पर रोक होने के बावजूद बजरी माफिया बेखौफ हैं। राज्य के हर छोटे-बड़े इलाकों में धड़ल्ले से बजरी पहुंचाई जा रही है। जिसकी वजह से खनिज विभाग व पुलिस प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। वहीं राज्य सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट के सामने अवैध बजरी खनन को रोकने में अपनी असमर्थता जता चुकी है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी गठित की है।