कार या बाइक में कराया इस तरह का मॉडिफिकेशन, तो लगाने पड़ सकते है कोर्ट के चक्कर

भारत में कार और बाइक पर अनावश्यक मॉडिफिकेशन कराना बैन है। इसके बावजूद कुछ लोग नियम का उल्लघंन करते हुए मॉडिफिकेशन कराते है। लेकिन प्रशासन के गिरफ्त में आने पर आपको कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते है।

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आज कल गाड़ियों का मॉडिफिकेशन करने का एक नया ट्रेंड चल गया है। आज कल हर कोई अपनी गाड़ियों पर तरह-तरह के मॉडिफिकेशन कराते है। कुछ चीजें जरूरी होती है लेकिन वहीं कुछ अनावश्यक चीजें भी लोग कराते है। आज कल हर जगह आपको मॉडिफिकेशन सेंटर मिल जाता है। जहां पर आपके पसंद और नापसंद का पूरा ध्यान रखते हुए, आपके बताए अनुसार आपकी कार या बाइक के ऊपर काम किया जाता है और एक नया लुक दिया जाता है।

आपकी कार को एक आकर्षक लुक देने के लिए उसके कलर में डिजाइन और पार्ट्स तक में बदलाव किए जाते है। जो आपकी कार को एक अट्रैक्टिव और शानदार लुक देता है। लेकिन इसी सब की वजह से आप कानूनी चक्करों में पड़ जाते है। और फिर आपको कोर्ट कचेहरी तक जाना पड़ जाता है। कई बार बायर्स को ये पता नहीं होता और वो ऐसी मॉडिफिकेशन करा लेते है, जोकि कानूनन अपराध के अन्तर्गत आता है। लेकिन आज हम आपको बताते है, जिससे आप इस तरह के चालान और कोर्ट-कचेहरी के चक्कर से बच सकते है।

फैंसी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट

आजकल लोगों में एक नया ट्रेंड है जहां लोग अपनी गाड़ी पर मंहगा नंबर प्लेट लगाते है। कई बार लोग अपने नंबर प्लेट को कुछ इस तरह से बनवाते है जहां अंको में लिखे अक्षर हिंदी के समझ आते है। इस तरह के नंबर प्लेट को रोकने के लिए भारत सरकार ने देश में चल रहे सभी वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट अनिवार्य कर दी है। ऐसा चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए किया गया है। और उसके बावजूद फैंसी नंबर प्लेट का प्रयोग किया तो आपको इसके लिए भारी चालान भरना पड़ सकता है।

फैंसी लाउड हॉर्न और लाउड साइलेंसर लगाना

अपनी गाड़ी में लाउड हॉर्न और लाउड साइलेंसर लगाना ये दोनों गैर कानूनी है। भारत सरकार ने देश में चलने वाली कारों के हॉर्न के लिए दिशा-निर्देशों का एक सेट निर्धारित किया है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, सामान्य कारों या चार पहिया वाहनों के लिए 100 डेसिबल से अधिक के हॉर्न की अनुमति नहीं है। वही लाउड साइलेंसर लगाना भी गैर कानूनी है। कारों में कंपनी-फिटेड एग्जॉस्ट पाइप में कैटेलिटिक कन्वर्टर्स होते हैं और इसलिए, वे न केवल हवा में निकलने वाले उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित करते हैं बल्कि इसकी आवाज भी कम रखते हैं। ऐसे में लाउड एग्जॉस्ट लगाने से बचना चाहिए।

कांच पर काले रंग की पन्नी लगाना

1988 के केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम (CMVA) के नियम 100 के अनुसार, भारत में सभी कारों की विंडोस्क्रीन और पिछली खिड़कियों के शीशे की न्यूनतम दृश्यता 70% होनी चाहिए। साथ ही मोटर व्हीकल एक्ट के तहत वाहन चलाते समय मोटर बीमा अनिवार्य है। जबकि, कारों की साइड-खिड़कियों के शीशे के लिए न्यूनतम 50% दृश्यता अनिवार्य है। अगर आपके ग्लास पर लगाए जाने वाली ग्लास की विजिबिलिटी 50% नहीं है तो आपको इसके लिए लंबा चालान भरना पड़ सकता है और आपके ऊपर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

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