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Pulwama Attack Anniversary: पुलवामा हमले को बीते 4 साल, जानें क्या हुआ था आखिर उस दिन

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“देखो वीर जवानों अपने खून पे ये इल्जाम ना आए,
माँ न कहे कि मेरे बेटे वक्त पड़ा तो काम ना आए!”

14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में एक ऐसा आतंकी हमला हुआ था जिसमें हमारे देश के 40 जवान शहीद हो गए थे।14 फरवरी 2019 यानी वैलेंटाइन डे और समय करीब दोपहर के 3.30 बज रहे थे। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था। सड़क के दूसरी तरफ से आकर आतंकी की कार ने सीआरपीएफ जवानों के काफिले के एक वाहन में ऐसा धमाका किया कि थोड़ी देर में सब कुछ धुआं धुआं हो गया चारों तरफ केवल लाशों के ढेर दिखाई दे रहे थे। कई जवान इस हमले में तत्काल रुप से शहीद हो गए वहीं कई जवान तड़प रहे थे। एक तरफ भारतीय सेना अपने साथियों के जीवन को बचाने का प्रयास कर रही थी। तो वहीं दूसरी तरफ आतंकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन भी चलाया जा रहा था।

श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पूरी तरह से का लेख दिखाई दे रही थी हर तरफ भारतीय सैनिकों के शरीर पड़े हुए थे और भारतीय सैनिक अपने साथियों को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे… जैसे ही यह खबर राष्ट्रीय मीडिया के द्वारा भारत के आम जनमानस पर पहुंची, वैसे ही पूरे देश की आंखों में आंसू और हृदय में क्रोध की ज्वाला दिखाई दे रही थी। इस पूरी घटना के बाद भारतवासी केवल एक मांग कर रहे थे कि हमारे देश के सैनिकों की शहादत का बदला लिया जाना चाहिए।

जैश ए मोहम्मद ने ली थी हमले की जिम्मेदारी

इस क्रूर हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के मशहूर आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली थी। सोशल मीडिया के जरिए भारतवासी लगातार सरकार पर दबाव बना रहे थे कि हमारे सैनिकों की शहादत का बदला केवल और केवल खून से लेना चाहिए। भारत का आम जनमानस, भारत का विपक्ष एक एक व्यक्ति सिर्फ बदला चाहता था और कुछ भी नहीं।

एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान को दिया मुंहतोड़ जवाब

पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट एयर स्ट्राइक की जिसमें करीब 300 आतंकवादियों को जहन्नुम पहुंचा दिया गया। धीरे-धीरे पुलवामा अटैक में शामिल सभी आतंकवादियों को मौत के घाट भारतीय सैनिकों के द्वारा उतार दिया गया। जब भी पूरी घटना हुई तो भारत के प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि हम अपने जवानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं होने देंगे।

क्या आप जानते हैं दुनिया के सबसे महंगे क्रिकेट बैट के बारे में, 1 करोड़ 20 लाख रूपये है इस बैट की कीमत

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अगर आप क्रिकेट के शौकीन है या आपने कभी भी क्रिकेट देखा है तो क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे महंगा क्रिकेट बैट कितने रुपए का हो सकता है? नहीं जानते ना… तो हम आपको बताने वाले हैं दुनिया के सबसे महंगे क्रिकेट बैट के बारे में… आप सभी ने महेंद्र सिंह धोनी का नाम तो सुना ही होगा? महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैं और वे जब भी मैदान पर उतरे उन्होंने लोगों को अपने रन रेट से दीवाना बना दिया। दुनिया के सबसे महंगे क्रिकेट बैट का खिताब भी उन्हीं के नाम पर दर्ज है। यानी कि दुनिया का सबसे महंगा क्रिकेट बैट महेंद्र सिंह धोनी का ही है। धोनी के इस बल्ले को ग्लोबल शेयर एंड सिक्योरिटी लिमिटेड नामक कंपनी ने 161,295 डॉलर (तकरीबन 1 करोड़ 20 लाख) से ज्यादा कीमत पर खरीदा था।

करोड़ों का है धोनी का बल्ला

2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में महेंद्र सिंह धोनी ने जिस बल्ले से बल्लेबाजी की थी, उसकी कीमत करोड़ों में हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में बल्ले से महेंद्र सिंह धोनी ने रन बनाए थे उसकी कीमत लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है। धोनी के इस बल्ले को ग्लोबल शेयर एंड सिक्योरिटी लिमिटेड नामक कंपनी ने 161,295 डॉलर (तकरीबन 1 करोड़ 20 लाख) से ज्यादा कीमत पर खरीदा था।

क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में बांस को जलाना क्यों अशुभ माना जाता है, भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है कहानी

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आप सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में बांस को जलाना अशुभ माना जाता है। लेकिन क्या आप इसके पीछे की बजाय जानते हैं?  क्या आपको पता है कि हिंदू धर्म में मांस को जलाना अशुभ क्यों माना गया है? अगर नहीं तो आइए अब हम आपको बताते हैं इसके पीछे के कारण के बारे में.. ऐसा कहा जाता है कि यदि बांस की लकड़ी को जलाया जाता है तो इससे वंश नाश हो जाता है। तथा पितृदोष भी लगता है। भगवान श्री कृष्ण हमेशा अपने पास एक बांसुरी रखते थे इसीलिए हिंदू धर्म में बांस को जलाना अशुभ माना गया है। भारतीय वास्तु विज्ञान में भी बास को बहुत ही शुभ माना जाता है। शादी, जनेऊ, मुंडन आदि में बात की पूजा एवं बास से मंडप बनाए जाते हैं लेकिन बास को जलाना शुभ नहीं माना जाता।

आपको यह भी बता दें कि बांस की लकड़ी में लेड और अन्य कई प्रकार की धातु होती है। जब बात को जलाया जाता है तो यह धातुएं अपनी ऑक्साइड बनाती हैं और इससे वातावरण प्रदूषित में रखता है। और यह प्रदूषण किसी भी मनुष्य तथा जीव जंतु के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होता है। इसको जलना इतना खतरनाक है कि यह आपकी जान भी ले सकता है, क्योंकि इसके अंश हवा में घुले होते है और जब आप सांस लेते हैं तो यह आपके शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके कारण न्यूरो और लिवर संबंधी परेशानियों का खतरा भी बढ़ जाता है

क्या आप जानते हैं उन 5 गांव के बारे में, जो अगर दुर्योधन ने पांडवों को दिए होते, तो नहीं होता महाभारत का युद्ध

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आप सभी जानते हैं कि महाभारत की युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण शांति दूत बनकर महाराज धृतराष्ट्र के दरबार में गए थे और उन्होंने कहा था कि यदि कुरुवंश केवल 5 गांव पांडवों को दे दे तो यह युद्ध रुक जाएगा। लेकिन इस दौरान दुर्योधन ने भगवान श्रीकृष्ण की बात नहीं मानी थी और उन्हें बंदी बनाने का प्रयास किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पांचो गांव आज किस हालत में है? वर्तमान में इन पांचों गांवों के नाम क्या है? तो आइए जानते हैं…

श्रीपत (सिही)

कहीं-कहीं श्रीपद और कहीं-कहीं इंद्रप्रस्थ नाम का उल्लेख मिलता है।  वर्तमान समय में यह स्थान दक्षिणी दिल्ली के इलाके में इंद्रप्रस्थ के नाम से मौजूद है। और यहां पर स्थित पुराना किला इस बात का सबूत है कि यहां पर किसी समय में एक बड़ा विशाल साम्राज्य हुआ करता था। ऐसा भी माना जाता है कि यही पांडवों की राजधानी रही होगी। यहां खुदाई में ऐसे बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत से जुड़े अन्य स्थानों पर भी मिले हैं। दिल्ली में स्थित सारवल गांव से 1328 ईस्वी का संस्कृत का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। इस अभिलेख में इस गांव के इंद्रप्रस्थ जिले में स्थित होने का उल्लेख है। आपको बता दें सही गांव हरियाणा का एक प्रसिद्ध गांव है जहां पर ऐसा माना जाता है कि कवि सूरदास ने जन्म लिया था। इसके अलावा जनमेजय ने भी यहीं पर नाग में यज्ञ किया था। जिसमें सृष्टि के सभी सर्प आकर भस्म होने लगे थे।

बागपत

आपको बता दें कि महाभारत काल के दौरान इस स्थान को व्याघप्रस्थ कहा जाता था। इसका अर्थ होता है बाघों के रहने की जगह… सैकड़ों साल पहले ऐसा माना जाता है कि जहां पर बाघ पाए जाते थे। बाद में इस स्थान को मुगल काल में बागपत के नाम से जाना गया और अब यह उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध जिला है। बागपत वह स्थान है जहां पर दुर्योधन ने षड्यंत्र करके लाक्षागृह बनवाया था। और इस लाक्षागृह में पांडवों को जलाने की कोशिश की गई थी।

सोनीपत

महाभारत काल में सोनीपत को स्वर्ण पथ कहा जाता था और बाद में यह सोनपुर से होकर सोनीपत हो गया। स्वर्ण पथ का अर्थ होता है सोने का शहर… परंतु आज यह हरियाणा का एक जिला बन गया है। और यहां पर अच्छी खासी आबादी भी रहती है।

पानीपत

महाभारत काल के दौरान जिन 5 गांव को भगवान श्री कृष्ण ने कुरुवंश से मांगा था उनमें पानीपत का भी नाम शामिल था। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में पानीपत पांडू प्रस्थके नाम से प्रसिद्ध था। इतिहास में इस स्थान को कई बार उल्लेखित किया गया है क्योंकि यहां पर 3 युद्ध हुए थे। पानीपत का प्रथम द्वितीय और तृतीय युद्ध।  पानीपत राजधानी नई दिल्ली से 90 किलोमीटर उत्तर में है। इसे ‘सिटी ऑफ वीबर’ यानी ‘बुनकरों का शहर’ भी कहा जाता है।

तिलपत

महाभारत काल के दौरान तिलपत को पहले तिलप्रस्थ कहा जाता था। आपको बता दें कि भौगोलिक रूप से यह हरियाणा के फरीदाबाद जिले का एक कस्बा है जो यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस कस्बे की आबादी लगभग 40 हजार से अधिक है। वर्तमान समय में यहां पर एक अच्छी खासी आबादी निवास करती है।

भारत नहीं इस देश में स्थित है विश्व का सबसे प्राचीन मंदिर, जानिये मंदिर की विशेषताएं

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आपने हिंदू मंदिरों के बारें में काफी कुछ सुना होगा। व्यवहारिक रूप से कई मंदिरों के बारे में जानने का मौका भी आपको मिला होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के बारें में। अगर नहीं तो आपके लिए ये जानकारी काफी महत्वपूर्ण होने वाली है। आज हम आपको बतायेंगें उस मंदिर के बारें में जो दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है औऱ कई सौ एकड़ में फैला हुआ है। विश्व का सबसे बड़ा मंदिर भारत में नहीं बल्कि कंबोडिया देश के अंकोर में स्थित है। इस मंदिर का नाम है अंकोरवाट मंदिर। अंकोर सिमरिप शहर में मीकांग नदी के किनारे स्थित है। यह सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। यह भगवान विष्णु का मंदिर है। यहां पर पहले के शासकों ने बड़े-बड़े भगवान शिव के मंदिरो का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि इसका पुराना नाम यशोधपुर था। राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के शासन काल 1112 से 1153 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था।

कंबोडिया में है विश्व का सबसे प्राचीन हिंदू मंदिर

कहा जाता है कि सालों पहले कंबोडिया में हिन्दू धर्म था। पहले इसका संस्कृत नाम कंबुज या कंबोज था। कंबोज की प्राचीन कथाओं के मुताबिक, उपनिवेश की नींव आर्यदेश के राजा कंबु स्वयांभुव ने रखी थी। उन्होंने यहां की नाग जाति के राजा की मदद से इस जंगली मरुस्थल पर राज्य बसाया था। नागराज की अद्भुत जादूगरी से मरुस्थल हरे भरे, सुंदर प्रदेश में बदल गया। लेकिन विदेशियों ने जब इस वैभवशाली राज्य के लोगों को धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा तब यहां की स्थितियां बदलने लगी। बहुत सारे लोग यहां से पलायन कर गए और काफी लोगों ने धर्म परिवर्तन कर लिया। लेकिन यहां के लोग आज भी स्वयं को हृदय से हिंदू मानते हैं।

मंदिर की विशेषताएं

यह मंदिर 402 एकड़ में फैला हुआ है। 1112 से 1153 ईस्वी के दौरान बनवाए गए इस मंदिर का आकार दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से करीब चार गुना बड़ा है, जबकि दिल्ली के बिरला मंदिर से ये करीब 27 गुना बड़ा है। इस मंदिर के चित्र को कम्बोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में छापा गया है। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित हो चुके इस मंदिर को दुनिया के सबसे मशहूर धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। मंदिर को इंडोनेशिया के नागरिक ‘पानी में डूबा हुआ मंदिर का बगीचा’ भी कहते हैं। 402 एकड़ में फैले हुए इस मंदिर के दीवार पर हिंदू धर्म से जुड़ी हुई कथाओं का चित्रण किया गया है। इसकी दीवारों पर समुद्र मंथन के दृश्य का भी चित्र दिखाई देता है। मंदिर की दीवारों पर पूरी रामायण अंकित है। यहां पर बहुत सारे लोग सूर्यास्त और सूर्योदय को देखने जाते हैं।

कोरोना संक्रमण के कारण दिल्ली में जारी हुआ यलो अलर्ट, मेट्रो के नियमों में भी हुआ बदलाव, जानिए नए नियमों के बारे में

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देश में लगातार कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि होने के कारण दिल्ली में यलो एलर्ट जारी कर दिया गया है। इस अलर्ट के जारी होने के बाद अब मेट्रो ने अपने नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। मेट्रो के कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि अब मेट्रो ट्रेन के अंदर केवल 50 फीसद बैठने की क्षमता के साथ ही चलेगी। मेट्रो में किसी भी यात्री को खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मेट्रो की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया है कि गाइडलाइंस के तहत अब मेट्रो के कुल 712 गेट में से 444 गेट ही खोले जाएंगे। इन्हीं में से यात्रियों को प्रवेश मिलेगा। अब मेट्रो के 9 फ्लाइंग स्कवायड अलग-अलग रूटों पर चलकर ऐसे यात्रियों के चालान भी कर रहे हैं जो ट्रेन में मास्क नहीं पहन रहे हैं।

दिल्ली में जारी हुआ यलो अलर्ट

आपको बता दें कि येलो’ अलर्ट तब जारी किया जाता है जब कोविड संक्रमण दर लगातार दो दिनों तक 0.5 प्रतिशत से अधिक रहती है। दिल्ली में पिछले दो दिनों से संक्रमण दर 0.5 प्रतिशत से अधिक है। केजरीवाल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग मास्क पहने बिना बाजार और मॉल जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की अपील की है।

नए नियमों के बारे में जाने

  • नए नियमों के अनुसार गैर जरूरी वस्तु और सेवा से संबंधित बाजारों और मॉल तथा दुकानों को सुबह 10:00 से रात 8:00 बजे तक ऑड इवन फार्मूले के तहत खोला जाएगा।
  • मुंसिपल जोन में 50% वेंडर के साथ साप्ताहिक बाजार की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानें पूरे दिन खुली रहेंगी।
  • रेस्टोरेंट सुबह 8 से रात 10 बजे के बीच खुलेंगे और इस दौरान वहां केवल 50 फीसदी लोगों को ही बैठन की अनुमति होगी।
  • बार 12 बजे से रात 10 बजे के बीच 50 फीसदी लोगों की बैठने की अनुमति के साथ खुलेंगे।
  • इसके अलावा, स्कूल, शैक्षणिक संस्थान, सिनेमा, बैंक्वेट हॉल, ऑडिटोरियम, स्पा, जिम और मनोरंजन पार्क बंद रहेंगे।
    जिम और योगा सेंटर्स भी बंद रहेंगे।
  • सामाजिक/मनोरंजन/धार्मिक/राजनीतिक/त्योहार से संबंधित सभाओं पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।
  • खेल परिसर, स्टेडियम (राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों को छोड़कर), मनोरंजन पार्क बंद रहेंगे।
  • शादी और अंतिम संस्कार से संबंधित समारोहों में 20-20 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।

बसपन का प्यार गीत गाकर मशहूर होने वाले सहदेव का हुआ एक्सीडेंट, बादशाह बोले: दुआ करो

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बसपन का प्यार गीत गाकर मशहूर होने वाले सहदेव का एक्सीडेंट हो गया है। सुकमा के अस्पताल में सहदेव की प्रारंभ‍िक इलाज के बाद उन्हें जगदलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। उन्हें सिर पर चोट लगी है। घटना की खबर सुन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुकमा कलेक्टर को फोन कर सहदेव का बेहतर इलाज सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

CMO ऑफ‍िस ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. लिखते हैं- ‘मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel ने सहदेव दिरदो की दुर्घटना की खबर पर दुःख जताते हुए कलेक्टर श्री विनीत नंदनवार @SukmaDist को त्वरित रूप से सर्वोत्तम चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।’

स‍िंगर-रैपर बादशाह ने भी ट्वीट कर सहदेव की तबीयत की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा- ‘सहदेव के पर‍िवार और दोस्तों के साथ संपर्क में हूं….वो अभी बेहोश है, अस्पताल के रास्ते में है। मैं उसके लिए खड़ा हूं। आपकी प्रार्थनाओं की जरूरत है।’

“सचिन तेंदुलकर को अगर कुछ हो जाता तो हिंदुस्तान के लोग मुझे जिंदा जला लेते”, जानिए शोएब अख्तर ने ऐसा क्यों कहा?

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हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच होने वाला क्रिकेट हमेशा ही सुर्खियों की वजह बनता रहा है। जब भी हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का मैच होता है पूरे विश्व की निगाहे इसी मैच पर होती हैं। जब भी पाकिस्तान यह मैच हारता है तो पाकिस्तान में लोग टीवी फोड़ते हैं वहीं हिंदुस्तान में जश्न मनाया जाता है। लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं पाकिस्तान के अपने दमदार गेंदबाज शोएब अख्तर का एक ऐसा बयान जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे! शोएब अख्तर ने बताया है कि अगर सचिन तेंदुलकर को कुछ हो जाता तो हिंदुस्तान के लोग मुझे जिंदा जला देते हैं। क्या आप जानते हैं उन्होंने ऐसा क्यों कहा?

आपको बता दें कि एक अवॉर्ड शो के दौरान इंडिया vs पाकिस्तान के क्रिकेटर एक साथ बैठे थे और मजाक में अख्तर ने तेंदुलकर को उठाने की कोशिश की थी। हालांकि तेंदुलकर तब अख्तर के हाथों से फिसलकर नीचे गिर गए। पाकिस्तान के घातक बॉलर शोएब अख्तर ने एक इंटरव्यू में बताया कि मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर को एक अवॉर्ड शो के दौरान उन्होंने मजाक में उठाने का प्रयास किया, मगर वो उनके हाथों से स्लिप हो गये। शोएब ने कहा कि मैंने मजाक में मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर को उठाने की कोशिश की, मगर वो मेरे हाथों से फिसल गए और वो नीचे गिर गए। मगर ज्यादा बुरी तरीके से नहीं।

पाकिस्तान के घातक बॉलर ने कहा कि फिर मैंने सोचा कि मैं तो गया। मुझे लग रहा था कि यदि उनको (तेंदुलकर) अनफिट या चोटिल हो जाते तो मुझे फिर कभी हिंदुस्तान का वीजा नहीं मिलता। इंडिया के लोग मुझे कभी अपने देश में नहीं बुलाते और या मुझे जिंदा जला डालते।

इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट से कमाल की पेंटिंग बनाने वाला शख्स, मूर्तियां और डमी रोबोट भी बनाते हैं

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बदलते हुए आधुनिक युग में हम सभी नए नए उपकरणों का यूज़ करते हैं। कुछ दिन तक इनका प्रयोग करने के बाद ही बेकार हो जाते हैं और इन्हें फेंक दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं बाद में इनका क्या होता है? आपको बता दें बेस्ट बनने के बाद यह पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं और जानवरों के पेट में जाकर उन्हें नुकसान पहुंचाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट की मदद से बेहतरीन पेंटिंग बनाने का काम कर रहा है। आइए जानते हैं कौन है वह शख्स?

इस व्यक्ति का नाम है विश्वनाथ मल्लाबादी… विश्वनाथ बेंगलुरु के रहने वाले हैं और उनकी उम्र 58 वर्ष हैं। वे पिछले 8 सालों से इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को कमाल की पेंटिंग्स और ज्वेलरी में बदलने का काम कर रहे हैं। उन्होंने लगभग एक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा इकट्ठा किया है, जिसके प्रबंधन में वह जुटे हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि विश्वनाथ को इस काम की प्रेरणा उनके पिताजी से मिली थी जोकि खुद एक चित्रकार और मूर्तिकार हैं। विश्वनाथ ने पहले बीएससी की और फिर ‘एप्लाइड आर्ट्स’ में बीएफए डिग्री की। उन्होंने कला के क्षेत्र में काम करने के साथ-साथ, ‘सस्टेनेबल आर्ट’ के क्षेत्र में भी काम किया। साल 2020 में ही, वह विप्रो कंपनी से बतौर सीनियर कंसलटेंट रिटायर हुए थे। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि खराब चार्जर, फ्लॉपी ड्राइव, सीडी रोम ड्राइव, हार्ड डिस्क जैसी कोई भी चीज, एक इको-आर्टिस्ट के लिए कभी भी बेकार नहीं होती है। उन्होंने अब तक बहुत सारे ऐसे प्रोडक्ट बनाए हैं जिनको देखकर आप हैरान हो जाएंगे। इस कचरे की मदद से अबतक वे पेंटिंग्स,मूर्तियां तथा अन्य उपयोगी चीजें बना चुके हैं।

यूपी की सियासत के केंद्र में ब्राह्मण, अयोध्या मथुरा और काशी के सहारे ब्राह्मण तक पहुंचना चाहती है बीजेपी

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उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को अपनी ओर करने के लिए भारतीय जनता पार्टी एड़ी चोटी का जोर लगा रही  है। विकास दुबे कांड के बाद जिस तरह से प्रदेश में ब्राह्मणों के उत्पीड़न का मुद्दा विपक्षी पार्टियों ने उठाया है उससे यह साफ होता है कि कहीं ना कहीं ब्राह्मण भारतीय जनता पार्टी से रुष्ट हो रहे हैं। इसीलिए ब्राह्मणों को अपने पाले में करने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की इनके द्वारा पूरे चुनाव को अयोध्या, मथुरा और काशी पर केंद्रित करने की कोशिश की जा रही है।

ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करना सबसे ज़रूरी

केंद्रीय मंत्री और यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के साथ रविवार को हुई ब्राह्मण नेताओं की बैठक के बाद सोमवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ नेताओं की मुलाकात हुई। नड्डा के साथ बैठक के दौरान इस समुदाय से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि इस बैठक को बुलाने का मकसद यह था कि यूपी में ब्राह्मण वर्ग की नाराजगी को कैसे दूर किया जाए। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी ब्राह्मण नेता अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर ब्राह्मण वर्ग के प्रतिष्ठित लोगों से मिलेंगे और जनता को भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार के ब्राह्मणों के लिए किए गए कार्यों की जानकारी देंगे।

ब्राह्मणों को मनाने हेतु समिति का गठन

भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के मुख्य सचेतक शिव प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता में ब्राह्मणों को एक बार फिर मनाने के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति में पूर्व राष्ट्रीय सचिव अभिजीत मिश्रा,  गुजरात के सांसद राम भाई मौका रिया और महेश शर्मा शामिल है। सभी लोग ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं प्रधानों से मिलकर उनके मुद्दों को समझने की कोशिश करेंगे। सबसे प्रमुख बात यह है कि इस समिति का अध्यक्ष शिव प्रताप शुक्ला को बनाया गया है  जबकि वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरोधी माने जाते हैं। वे लगातार चार बार 1989,1991,1993 और 1996 में विधायक और यूपी में मंत्री भी रहे हैं। कहा जाता है कि 2002 के विधानसभा चुनाव में योगी ने उन्हें चुनाव हराने के लिए उनके खिलाफ अपना प्रत्याशी खड़ा किया था।