देश के लिए जीतना है स्वर्ण पदक, साइकिलिंग के साथ सैलून पर करना पड़ रहा है काम

दिल्ली के 22 वर्षीय जावेद खान को देश के लिए साइकिलिंग में स्वर्ण पदक जीतना है। जिसके लिए वह साइकिलिंग के साथ परिवार को पालने के लिए अपने सैलून पर भी कम कर रहे है।

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सांकेतिक चित्र

अपने देश के प्रति कुछ कर गुजरने का जुनून अगर किसी में हो तो वह क्या कुछ नहीं कर सकता! खेल जगत से जुड़े कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो अपने जज़्बे से न सिर्फ देश का मान बढ़ाते हैं बल्कि कई युवाओं को प्रेरणा देने का काम भी करते हैं। ऐसा ही एक नाम है साइक्लिस्ट जावेद खान का।

22 साल के जावेद खान अपने लक्ष्य को हासिल करने में इस तरह अटल हैं कि उन्होंने कभी गरीबी और आर्थिक संकट को अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। 23 राष्ट्रीय साइकलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम करने वाले जावेद साइकिलिंग के साथ अपने परिवार के लिए सैलून पर भी काम कर रहे हैं।

दरअसल 2018 में पिता को हार्ट अटैक आने के बाद परिवार की जिम्मेदारी जावेद पर आ गयी थी। लेकिन जावेद ने कभी हार नहीं मानी और साइकिलिंग के अभ्यास के साथ अपने पिता की दुकान को भी संभाला। जावेद की नजरें भविष्य में होने वाली साइकिलिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने पर हैं। जिसके लिए वह रोज़ सुबह 4 से 8 बजे तक साइकिलिंग करते हैं और उसके बाद पिता की दुकान संभालते हैं।

साइकिलिंग के अलावा जावेद दिल्ली विश्वविद्यालय से BA की पढ़ाई भी कर रहे हैं। जावेद का सपना साइकिलिंग में देश के लिए स्वर्ण पदक लाने का है। बेशक उनकी राह थोड़ी मुश्किल है लेकिन वह निरंतर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।

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