दुनिया भर के वैज्ञानिक इन दिनों कोरोना की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। जहां एक ओर भारत आत्मनिर्भर भारत के तहत कोविड-19 पर पहली इंटरनेशनल ड्रग डिस्कवरी ‘हैकाथॉन’ का आयोजन करने जा रहा है। वहीं दूसरी ओर Covid-19 का जन्मदाता कहे जाने वाले देश चीन को इसमें शामिल न करते हुए एक और झटका दिया है। इसमें प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन की अध्यक्षता में दुनियाभर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता दवा व वैक्सीन बनाने, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व मशीन लर्निंग टूल बनाने पर काम करेंगे। डॉ. के. विजय राघवन के नेतृत्व में चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
जिनके ऊपर इस बात की जिम्मेदारी है कि कोरोना से कैसे बचा जाए और इसके लिए नई दवा की खोज की जाए। हैकाथॉन में शामिल होने वाले सदस्य हैं, के. विजय राघवन- प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, डॉ शेखऱ मांडे- महानिदेशक, सीएसआईआर, डॉ अनील सहस्त्रबुद्दे- चेयरमैन, एआईसीटीई (All India Council for Technical Education)। दुनिया की पहली और सबसे बड़ी दवा खोज हैकाथॉन 2 जुलाई, 2020 को शुरू होने जा रही है, और यह शोध मई 2021 तक चलेगा। इस दौरान दस हजार से ज्यादा वैज्ञानिक और रिसर्च टीम इस पर काम करेंगी। हैकाथॉन में एचआरडी, स्वास्थ्य मंत्रालय, सीएसआईआर, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी संयुक्त रूप से काम कर रहें है।
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केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के चीफ एनोवेशन ऑफिसर डॉ. अभय जेरे ने बताया कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों के भी रिसर्चर को इस हैकाथॉन में शामिल किया जा रहा है। इनके ऊपर इस बात की जिम्मेदारी होगी कि कोरोना से बचाव के लिए दवा ढूंढना। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को दुनिया के कई देशों में डेवलप करने का काम चल रहा है। दवाओं को लेकर भी काम शुरु है, लेकिन हमने एक नई पहल की है, जो कोई भी इस खोज में सफल होगा उसे इनाम दिया जाएगा। अगले एक सप्ताह में इस बाबत आधिकारिक घोषणा की जाएगी। इसके साथ ही किस तरह की गाइडलाइन होंगी इसे लेकर भी सभी को सूचित किया जाएगा। केन्द्र सरकार कोविड-19 से लड़ने के लिए अपने तरकश के हर तीर का इस्तेमाल करना चाहती है। क्या पता कौन सा तीर निशाने पर लगे और कोविड-19 से जंग में कामयाबी मिले।