किसान नेताओं को अब आंदोलन की होने लगी चिंता, किसान पंचायतों में नहीं पहुंच रहे हैं उम्मीद के अनुसार किसान

यूपी गेट पर चल रही है किसानों के धरना प्रदर्शन में रविवार को बड़ा बदलाव नजर आया।बताया जा रहा है इस धरना प्रदर्शन में इतने लोग भी मौजूद नहीं थे जिनकी उम्मीद किसान नेता लगा रहे थे। एक और बात सामने आ रही है कि हम किसानों के धरना प्रदर्शन स्थल पंचायत चुनाव के संपर्क स्थल बन गए हैं इसी कारण कुछ लोग वहां जाने से बच रहे हैं।

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किसानों के आंदोलन को काफी समय हो चुका है लेकिन अब धीरे-धीरे किसानों का आंदोलन एक राजनैतिक आंदोलन बनता जा रहा है। भारत के प्रमुख सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जितने भी दल चुनाव लड़ना चाहते हैं यह सरकार से लोहा लेना चाहते हैं वे सभी इन आंदोलनकारियों के पास जाकर बैठते हैं और आगे की रणनीति तय करते हैं। उत्तर प्रदेश में इस समय पंचायत चुनाव होने हैं और पंचायत चुनावों में अपनी विजय को कायम करने के लिए अलग-अलग पार्टी है किसान आंदोलन का समर्थन कर रही हैं। पंचायत चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने वाले प्रत्याशी भी लगातार इन लोगों के संपर्क में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह सभी लोग किसानों के आंदोलन में जाकर उनका गांव पूछते हैं और पंचायत चुनाव में मदद करने की मांग करते हैं।

आपको बता दें इन दिनों यहां पर लगभग 200 किसानों के टेंट हैं बाकी किसान घर लौट चुके हैं।रविवार को भारतीय किसान यूनियन की ओर से आयोजित की गई पंचायत में इनकी संख्या बहुत कम बढ़ती हुई नजर आई। किसानों की संख्या को इतना कम देखकर मंच पर बैठे नेताओं के मन में आशा का भाव भी कम होता हुआ दिखाई दिया।

आप सभी जानते हैं कि 26 जनवरी 2021 को जो घटना देश की राजधानी दिल्ली में घटी उसके बाद लगातार धीरे-धीरे किसान अपना सामान समेटकर पंजाब और अपने अपने घरों पर चले गए। पहले ठंड को देखकर यहां पर उचित इंतजाम किए गए थे लेकिन अब यहां पर गर्मियों को देखकर भी इंतजाम किए जा रहे हैं। किसानों का आंदोलन सुचारु रुप से चलता रहे इसलिए किसानों के सबसे बड़े नेता राकेश टिकैत दूसरे प्रदेशों में जाकर किसानों से मदद मांग रहे हैं और पंचायत भी कर रहे हैं लेकिन उनकी इन पंचायतों का कोई भी फायदा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा।

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