भारतीय टीम के लिए धोनी ‘राम’ तो रैना थे ‘लक्ष्मण’

सुरेश रैना ने महेंद्र सिंह धोनी के साथ ही 15 अगस्त के मौके पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास की घोषणा कर दी है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मैदान के बाहर भी रैना धोनी के कितने करीब थे।

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क्रिकेट की दुनिया से सन्यास लेना हर खिलाड़ी के लिए सबसे भावुक क्षण होता है और अगर सन्यास विश्व क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बना चुके खिलाड़ियों का हो तो इसका असर फैंस के जेहन पर भी पड़ता है। 15 अगस्त की शाम को कुछ ऐसा ही हुआ। भारतीय टीम के लेजेंड क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने अचानक सन्यास की घोषणा कर सभी को आज़ादी की शाम पर भावुक कर दिया। धोनी के सन्यास से टीम इंडिया और फैंस उभरे ही थे कि कुछ ही मिनटों बाद सुरेश रैना ने भी धोनी के साथ सन्यास की घोषणा कर दी।

धोनी और रैना की जोड़ी मैदान पर तो सबके लिए फ़ेवरेट थी लेकिन अपने करियर के अंतिम पलों में धोनी के साथ रिटायरमेंट की घोषणा कर सुरेश रैना ने साबित कर दिया कि अगर धोनी भारतीय टीम के लिए राम थे तो वह लक्ष्मण। टीम इंडिया के लिए धोनी जितने अहम थे उतने ही रैना भी। मैदान पर दोनों ने कई बार भारत को हारे हुए मैचों में जीत दिलाई। आईपीएल में भी चेन्नई की तरफ से दोनों ने 10 सालों तक एक ही टीम के साथ सफर तय किया।

धोनी के कद और उनके रिकॉर्ड्स के आगे भले ही सुरेश रैना का कोई रिकॉर्ड न टिकता हो लेकिन ये भी सच है कि जब तक रैना वनडे और टी20 टीम में रहे तब तक भारत को मिडिल ऑर्डर में कोई समस्या नहीं रही। रैना अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। लेकिन इससे भी ज्यादा उन्हें उनकी फील्डिंग की वजह से हमेशा याद किया जाएगा।

रैना को पहली बार 2005 में वनडे टीम में जगह मिली। पहले ही मुकाबले में रैना ने अपनी फील्डिंग और खेल के प्रति अपने जज़्बे से सभी को प्रभावित कर दिया। देखते ही देखते रैना भारतीय टीम के सबसे भरोसेमंद मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज और टीम के सबसे दिग्गज फील्डर बनते चले गए।

भले ही रैना टेस्ट में उतने सफल बल्लेबाज नहीं बन सके लेकिन इसका असर उनकी काबिलियत पर कभी नहीं पड़ा। 18 टेस्ट खेलने वाले रैना ने भारत की तरफ से 226 वनडे मुकाबले खेले जिसमें रैना ने 35.31 की औसत से 5,615 रन बनाए। 2006 में रैना का टी-20 में रैना का टी-20 डेब्यू हुआ। टी-20 में रैना का खेल सबसे अलग था। भारत के लिए टी-20 में पहला शतक भी रैना के बल्ले से ही निकला।

सुरेश रैना ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कई रिकॉर्ड अपने नाम किये। रैना तीनो फॉर्मेट्स में शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज थे। उनके बाद रोहित शर्मा ने ये कारनामा किया था। रैना ने धोनी के साथ मिलकर भारत को कई यादगार मुकाबलों में जीत दिलाई। 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ कार्डिफ के मैदान पर धोनी के साथ 114 रनों की साझेदारी उनके करियर की सबसे यादगार पारियों में से एक है। रैना ने उस मुकाबले में शतक जड़ा था और अकेले दम पर भारत को मैच जिता लाए थे। 2015 विश्व कप में 74 और 2011 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ रैना की नाबाद 36 रनों की पारियों को भी आखिर कौन भूल सकता है। रैना 2011 विश्व कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय विजेता टीम का हिस्सा थे।

रैना भारतीय टीम के एकलौते ऐसे खिलाड़ी थे जो अपनी फील्डिंग के दम पर भारत को मैच जिताना जानते थे। अपने पूरे कैरियर में रैना ने कुछ ही कैच छोड़े होंगे। रैना आईपीएल में 100 कैच लपकने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि वह किस शैली के फील्डर थे। रैना का आईपीएल रिकॉर्ड भी काफी शानदार रहा है। लगातार 7 सीजन में 400 से ज्यादा आईपीएल रन बनाने वाले रैना एकलौते बल्लेबाज हैं। रैना आईपीएल में 5000 से ज्यादा रन भी बना चुके हैं।

रैना के पास 2-3 सालों का और खेल बाकी था लेकिन एक खिलाड़ी को महान उसके निर्णय लेने की क्षमता बनाती है। रैना ने सही समय का आंकलन किया और युवा खिलाड़ियों को मौका देने के तर्ज पर समय रहते सन्यास की घोषणा कर दी। धोनी के साथ दोस्ती के अलावा रैना को मैदान पर कवर के ऊपर आसानी से छक्के मारने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Image Source: Tweeted by @DrKumarVishwas

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