छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में 1.10% तक की कटौती का फैसला वापस , वित्त मंत्री ने दिया बड़ा बयान

केंद्र सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में 1.10% तक की हुई कटौती के फैसले को वापस ले लिया है। इस मामले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बयान देते हुए कहा है स्मॉल सेविंग स्कीमों पर लागू दरें उसी स्तर पर बरकरार रहेंगी। जो वित्त वर्ष 2020 2021 के अंतिम तिमाही में थी। सरकार के फैसले के बाद अब आम जनता को काफी राहत मिल चुकी है। लेकिन इस पूरे मामले पर विपक्ष की ओर से सरकार पर प्रहार किए जा रहे हैं।

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सरकार द्वारा छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दर में कटौती के ऐलान को कुछ घंटों के भीतर ही वापस ले लिया गया है। इस बात की जानकारी आज खुद भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने ट्विटर के माध्यम से दी।ट्वीट में उन्होंने लिखा कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें पहले की तरह बनी रहेंगी जो 2020-2021 की अंतिम तिमाही में थीं। कल शाम जो आदेश जारी किया गया था उसे वापस लिया जा रहा है। सीतारमण ने ट्वीट करके कहा, ‘’भारत सरकार की लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरें उन दरों पर बनी रहेंगी, जो 2020-2021 की अंतिम तिमाही में मौजूद थीं।ओवरसाइट की वजह से जारी आदेश वापस ले लिए जाएंगे। इससे पहले एक फैसले में वित्त मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के लिए लघु बचत दर में 3.5 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की थी। जनवरी-मार्च के दौरान छोटी बचत दर सालाना 4 प्रतिशत थी।

विपक्ष ने बोला सरकार पर हमला

दिग्विजय सिंह ने कहा,”चुनाव के डर से मोदी-शाह-निर्मला सरकार ने अपना गरीब व आम आदमी की छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर का निर्णय बदल दिया, धन्यवाद, लेकिन निर्मला जी यह वादा भी कर दीजिए कि चुनाव हो जाने के बाद भी आप फिर से ब्याज दर नहीं घटाएंगीं।”

वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा,”भाजपा सरकार ने अपने फायदे के लिए ब्याज दरों में कमी करके मध्यम वर्ग पर एक और हमला करने का फैसला किया था, लेकिन पकड़े जाने पर वित्त मंत्री ने अनजाने में गलती हुई के बहाने बना रही हैं, जब मुद्रास्फीति लगभग 6 फीसद है और बढ़ने की उम्मीद है, तो भाजपा सरकार बचतकर्ताओं और मध्यम वर्ग को 6 फीसद से कम ब्याज दर दे रही है, जो पूरी तरह से गलत है।”

शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा,”वापस ले लिया। ऐसा लगता है, वित्त मंत्री ने सभी प्रमुख समाचार पत्रों में आज की सुबह की सुर्खियों को पढ़ने के बाद कटौती की घोषणा को वापस लेने का महसूस किया। हालांकि सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार की नीतियां एक तरह से असफल अर्थव्यवस्था का परिणाम हैं।”

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