कांग्रेस का गोलमाल आया सामने, दिल्ली में केवल 40,000 किसान, कांग्रेस ने कराये 1.5 लाख किसानों के हस्ताक्षर

श की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अब राष्ट्रीय मुद्दों पर भी जनसमर्थन जुटाने में नाकाम साबित हो रही है। कांग्रेस ने कुछ समय पहले राष्ट्रपति को 1.5 लाख किसानों के हस्ताक्षर उनके कागजात सौंपे थे। जबकि बताया जा रहा है कि दिल्ली में केवल 40 हजार किसान परिवार हैं।

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कांग्रेस पार्टी लगातार अपना जनसमर्थन खो रही है। राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अब कांग्रेस राजनीति करने में असफल साबित हो रही है। कुछ समय पहले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी राष्ट्रपति महोदय से मिले थे। कांग्रेस ने दाबा किया था कि हमने राष्ट्रपति महोदय को 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर वाले कागजात सौंपे! अब इस मामले ने भी तूल पकड़ लिया। सूत्रों के अनुसार ये बताया जा रहा है कि इनमे से अधिकतर लोग किसान नहीं बल्कि मजदूर हैं। यह बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने राष्ट्रपति महोदय को दो करोड़ किसानों द्वारा हस्ताक्षर किए गए कागजात सौंपे थे और यह कागजात दो ट्रक में भरकर गए थे,लेकिन अब यह माना जा रहा है कि इनमें से अधिकतर किसान है ही नहीं और दिल्ली में किसानों की संख्या महज़ 40000 है।

दिल्ली राजस्व विभाग के अनुसार दिल्ली की 45 हजार हेक्टेयर भूमि पर कृषि होती है। दिल्ली में किसान परिवारों की संख्या 40000 है। दिल्ली की सभी जगहों पर खेती भी नहीं होती है।पूर्वी,बाहरी तथा पश्चिमी दिल्ली के ही कुछ भागों पर कृषि होती है। दक्षिणी,मध्य तथा नई दिल्ली में खेती होती ही नहीं है,अगर यहां पर कृषि होती ही नहीं तो फिर यहां किसान कैसे हो सकते हैं? कांग्रेस पार्टी का कहना है कि हमने खेतिहर मजदूरों से हस्ताक्षर कराए हैं जबकि यह बताया जा रहा है कि दिल्ली में खेतिहर मजदूर भी नहीं है। कांग्रेस ने उन मजदूरों के हस्ताक्षर कराए हैं जो स्लम बस्तियों में रहते हैं और उनका ना तो किसानों से कोई वास्ता है और ना ही नए कृषि संशोधन कानूनों से। यानी कि कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्षों ने जैसे तैसे करके लोगों के हस्ताक्षर कराकर सरकार को बदनाम करने की कोशिश की। दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी के अनुसार, “हमने इन पत्रों पर किसानों के सहित उन मजदूरों के भी हस्ताक्षर कराए हैं जो इन कृषि संशोधन कानूनों के खिलाफ है। बहुत से ऐसे लोगों ने भी हस्ताक्षर किए हैं, जो कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलनों का समर्थन करते हैं।”

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