2014 के बाद कांग्रेस पार्टी प्रदेश और केंद्र के हर चुनाव को हारती हुई नजर आई है। कुछ चुनाव छोड़ दे तो लगातार सभी चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। अब कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री ने भी यह बात स्वीकार कर ली है। दैनिक भास्कर के साथ इंटरव्यू में भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा,”कांग्रेस का जमीनी स्तर पर संगठन या तो नदारद है या कमजोर पड़ चुका है… हर स्तर पर आत्ममंथन की आवश्यकता है… राहुल गांधी किसी गैर गांधी को अगुआ चुनने के बारे में प्राथमिकता जाहिर कर चुके हैं,ऐसे में एआईसीसी किसे अध्यक्ष चुनेगी कहा नहीं जा सकता!” हालिया बिहार चुनाव और उपचुनावों के नतीजे के बाद कांग्रेस की हालत पर पूर्व वित्त मंत्री ने यह प्रमुख बातें कहीं है!
उन्होंने बताया, ” बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यह संदेश दिया है कि गैर भाजपा संगठन भाजपा के गठबंधन के बराबर वोट पा सकता है पर भाजपा के गठबंधन से सीटों के मामले में आगे निकलने के लिए हमें जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन बनाना होगा। जमीनी स्तर पर पकड़ हो तो छोटी पार्टी भी जीत सकती है यह भाकपा माले और AIMIM ने साबित किया है। ” पी चिदंबरम ने कहा, “कांग्रेस ने बिहार में अपने संगठन की ताकत से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा कांग्रेस को मिली करीब 25 सीटें थी… जिन पर 30 साल से या तो भाजपा या भाजपा के सहयोगी जीत रहे थे! कांग्रेस को इन सीटों पर चुनाव लड़ने से इनकार करना चाहिए था। पार्टी को सिर्फ 45 उम्मीदवार उतारने चाहिए थे। अब केरल तमिलनाडु,पांडिचेरी,पश्चिम बंगाल और असम सामने है हमें देखना है वहां क्या नतीजे सामने आते हैं?”
पी चिदंबरम का कहना है, “मैं गुजरात,मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के उपचुनावों के नतीजों से ज्यादा चिंतित हुँ!… यह नतीजे बताते हैं कि जमीनी स्तर पर या तो पार्टी का संगठन कहीं नहीं है, या कमजोर पड़ चुका है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस के लिए जमीन उपजाऊ थी। हम जीत गए इतने करीब होकर क्यों हार गए इसकी समीक्षा होनी चाहिए? याद रखिए ज्यादा समय नहीं हुआ है जब कांग्रेस ने राजस्थान,मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और झारखंड में जीत हासिल की थी।”