कांग्रेस शासित प्रदेश में बलात्कार पर खामोश, उत्तर प्रदेश में बलात्कार पर राजनीति करने जाते हैं, कांग्रेस की यही है दुरंगी राजनीति!

राजस्थान में जहाँ एक पीड़ित परिवार बलात्कार के मामले में कांग्रेस सरकार से इंसाफ की मांग कर रहा है तो उसी कांग्रेस पार्टी के मुख्य राहुल-प्रियंका हाथरस में हुई घटना पर जमकर राजनीति कर रहे हैं। गुरुवार को इसी तर्ज पर बड़ा राजनैतिक ड्रामा भी देखने को मिला।

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करीब 70 सालों तक देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के तौर पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है कि वह उन मुद्दों को लेकर राजनीति करती है जिसका उनकी पार्टी से कोई लेना देना नहीं होता। एक समय ऐसा था जब कांग्रेस के पास राजनीति के लिए ऐसे मुद्दे रहते थे जिनका तोड़ किसी विपक्ष के पास नहीं होता था लेकिन अब कांग्रेस के पास अपनी गलतियों को वर्तमान सरकार पर थोपने के अलावा कोई काम नहीं रह गया है। राहुल गांधी और सोनिया गांधी इस बात को अच्छे से समझ चुके हैं कि अगर वह केन्द्र सरकार का विरोध न करें तो उसके पास राजनीति करने के लिए कुछ भी नहीं है।

उत्तर प्रदेश में इस समय हाथरस में बलात्कार के बाद हुई नाबालिक लड़की की मौत से पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। हर कोई पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग कर रहा है। लेकिन कुछ लोगों ने इसमें भी धर्म की राजनीति करनी शुरू कर दी है, जिसमें सबसे आगे नाम कांग्रेस पार्टी का ही है। गुरुवार को जो कुछ हुआ उसने एक बार फिर कांग्रेस को ही सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पीड़ित परिवार से मिलने के लिए दिल्ली से हाथरस जा रहे थे तो उनकी गाड़ी को बीच में ही रोक दिया गया। प्रसाशन ने जब गांधी परिवार को प्रदेश में धारा 144 लागू होने की बात कही तो उल्टा पुलिस के साथ दोनों नेताओं की झड़प हो गई। राहुल गांधी ने कानून व्यवस्था को समझना बेहतर नहीं समझा और पैदल ही हाथरस की ओर निकल पड़े। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस जाना किसी भी दृष्टिकोण से गलत नहीं था लेकिन राजनीति में उलझे राहुल गांधी शायद इस बात को भूल गए थे कि एक लड़की के साथ बलात्कार उनकी सरकार के राज्य राजस्थान में भी हुआ है।

पब्लिसिटी के लिए कुछ भी करेंगे राहुल गांधी?

16 दिनों तक हाथरस की बेटी अपनी माँ के साथ अस्पताल में ज़िन्दगी और मौत के बीच जंग लड़ती रही लेकिन गांधी परिवार को इन 16 दिनों में दलित परिवार की याद नहीं आयी। लेकिन युवती की मौत के बाद राहुल गांधी पर अचानक उस परिवार को न्याय दिलाने का भूत सवार हो गया। यमुना एक्सप्रेसवे पर गुरुवार को हुई घटना भी इस बात की ओर इशारा करने के लिए काफी है कि गांधी परिवार पब्लिसिटी के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। हाथरस जाने से पहले जब उन्हें यमुना एक्सप्रेसवे पर रोका गया तो वह लगातार मीडिया के कैमरे की तरफ इशारा कर रहे थे। जैसे ही राहुल गांधी को पता चला कि इस वीडियो प्रसारण हो चुका है, वैसे ही राहुल गांधी ने दिल्ली वापस लौटना बेहतर समझा। भले ही गांधी परिवार पीड़िता के परिवार तक न पहुंच सके हों लेकिन इस तरह के व्यव्हार के चलते राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने राजनैतिक सन्देश जरूर दे दिया है।

एक तीर, 2 निशाने

राहुल-प्रियंका को हाथरस जाने से रोकने का सीधा असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ता दिखाई देने लगा है। इस घटना के बाद कांग्रेस दलितों के वोट अपने पाले में करने की कवायद में जुट गयी है। हाथरस जाते समय कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हाथों में बाबा साहेब की तस्वीर और गले में नीले गमछे साफ देखे जा सकते थे। राहुल-प्रियंका के साथ चलने वाले कार्यकर्ता जय भीम के नारे लगा रहे थे। हाथरस गैंगरेप को लेकर जिस तरह की उग्र प्रतिक्रिया दलित समाज की ओर से आ रही है, उसे कांग्रेस समझ चुकी है। यही कारण है कि कांग्रेस के दोनों नेताओं ने दलित की बेटी के इंसाफ के लिए सड़क पर उतरने की पहल को यूपी के साथ-साथ बिहार के सियासी समीकरण साधने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है।

दूसरी तरफ प्रियंका गांधी दलित समुदाय को मुद्दा बनाकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने पांव ज़माने की कोशिश कर रही है। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें दलित समुदाय मुख्य भूमिका अदा करेगा। कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी की नजर इस समय दलित समुदाय और मुस्लिम पार्टी को अपनी तरफ दोबारा करने पर है। यही कारण है कि हाथरस जिले की बेटी के साथ हुई शर्मनाक घटना पर राजनीति करने में सबसे आगे कांग्रेस खड़ी नजर आ रही है।

राजस्थान पर अब तक चुप गांधी परिवार

जातीय और दुरंगी राजनीति के समीकरण में गांधी परिवार इतना उलझ गया है कि उन्हें अपने घर में झाँकने की फुर्सत तक नहीं है। जिस हाथरस बलात्कार की घटना पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इतना बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं वह अभी तक राजस्थान के बारां की दो नाबालिग बहनों से गैंग रेप पर चुप्पी साधे हुए हैं। इतना ही नहीं बारां में आरोपियों को पुलिस ने छोड़ दिया। पीड़िता को जुबान नहीं खोलने की धमकी भी दी गई लेकिन अभी तक राहुल गांधी ने ना तो राजस्थान पुलिस के खिलाफ कोई कार्यवाही की मांग की और ना ही पीड़िता के परिवार के साथ संवेदना व्यक्त की। जिन बच्चियों के साथ रेप हुआ उन्होंने आरोपियों के नामों तक का खुलासा कर दिया है। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी का एक कार्यकर्ता इस परिवार के साथ खड़ा नहीं दिखाई दिया। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि अगर राहुल गांधी औऱ प्रियंका गांधी को वाकई बेटियों की इतनी चिंता होती तो वो दूसरी बेटियों को क्यों भूल गए?

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