इस समय पूरे देश की नजर केवल 2 प्रदेशों के चुनाव पर है एक बिहार और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव। पश्चिम बंगाल में यह माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार भी बना सकती है और या फिर अच्छा प्रदर्शन भी कर सकती है। लेकिन इस बार कांग्रेस ने अपनी डूबती नैय्या को बचाने के लिए पश्चिम बंगाल में बड़ा दाँव चल दिया है। कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है जिसके बाद अब पश्चिम बंगाल की राजनीति त्रिकोणीय हो गई है। हालांकि अब तक यह माना जा रहा था कि पश्चिम बंगाल में सीधे तौर पर लड़ाई तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच होगी लेकिन अब कांग्रेस के इस फैसले ने विधानसभा चुनाव का रुख बदल दिया है।
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जो प्रदर्शन किया था उसके बाद तृणमूल कांग्रेस की जमीन हिल गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी में पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीती थी। जिसके बाद से लगातार तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अपनी जमीन बचाने की फिराक में लगी हुई है। भारतीय जनता पार्टी की रणनीति को देखते हुए बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने लोकसभा चुनाव के बाद दोनों पार्टियों के बीच मजबूत गठबंधन की वकालत की थी। हालांकि अधीर रंजन चौधरी समेत बड़े नेताओं ने इसका विरोध भी किया था। अब यह माना जा रहा है कि अधीर रंजन के हाथ में जब से पश्चिम बंगाल कांग्रेस गई है तो फिर बांदल और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है जो सीधे तौर पर ममता और भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देगा।
Image Source: Screengrab from video tweeted by @adhirrcinc