बिहार के राजनीति में एक बार फिर उथल पटक देखने को मिल रही है, बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रहे चिराग पासवान को प्रमुख पद से हटा दिया गया है। पशुपति कुमार पारस के समर्थक विधायकों ने इसके लिए पार्टी के संविधान का इस्तेमाल करते हुए ये कदम उठाया।
चिराग के अध्यक्ष बनने से नाखुश थे चाचा पशुपति पारस
चिराग ने ट्वीट कर जानकारी दी की जिस दिन मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, आप 5 मिनट के लिए आए प्रस्तावक बने और चले गए। उस दिन कार्यक्रम के बाद पापा बहुत दुखी थे। मेरे अध्यक्ष बनने पर आपने घर आना जाना कम कर दिया। मुझे जब जिम्मेदारी मिली उसके बाद मैंने “बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट” की शुरुआत का इसका उद्देश्य था। पूरे बिहार में भ्रमण कर बिहार की छोटी-बड़ी समस्याओं को समझ कर पार्टी के विजन डॉक्यूमेंट का हिस्सा बनाऊं। इस यात्रा से बिहार के लोगों का अभूतपूर्व प्यार और समर्थन मिला, पार्टी के सभी विधायक और सांसद खुश थे। और मैं चाहता था कि इस यात्रा में आपका भी आशीर्वाद मुझे मिले परंतु आपने पूरी यात्रा से दूरी बनाई रखी।
पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा।पार्टी माँ के समान है और माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए।लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूँ। एक पुराना पत्र साझा करता हूँ। pic.twitter.com/pFwojQVzuo
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) June 15, 2021
इन सब के बीच चिराग पासवान ने लिया बड़ा फैसला
जानकारी के मुताबिक, लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने सभी बागी सांसदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके मुताबिक, पशुपति पारस, प्रिंस राज, वीणा देवी, महबूब अली कैसर और चंदन सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोपी पाया गया। ऐसे में इन सभी को पार्टी की सक्रिय सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। इस फैसले के बाद पांचों सांसद पार्टी में किसी भी तरह के फैसले लेने के अधिकारी नहीं होंगे।
चिराग पासवान के समर्थकों ने पटना में पार्टी कार्यालय के बाहर पशुपति कुमार, पारस समेत पांचों बागी विधायकों के पोस्टरों पर कालिख पोती।