देश की राजधानी दिल्ली में लगातार तीन महीने से किसान संगठन कृषि बिल कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन में अलग अलग जगह से हिंदू जाट भी शामिल हो रहे हैं, जिसकी वजह से अब बीजेपी के लिए बड़ा खतरा बनने लगा है। दरअसल उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश दिल्ली हरियाणा सभी जगहों पर बीजेपी को जाट हिंदुओं का भारी बहुमत हमेशा से मिलता आ रहा है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने जाट वोटरों का समर्थन हासिल किया था।
वही बीजेपी को डर है कि कहीं आंदोलन को लेकर चल रही गलत अफवाहों के कारण जाट समुदाय बीजेपी से नाराज ना हो जाए। इसी वजह से हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने अन्य विधायकों नेताओं को बुलाकर किसानों और जाटों के बीच में किसी भी तरह का भ्रम ना फैल सके, इसके लिए कई सुझाव भी दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में चार राज्यों में चुनाव होने हैं, जो बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन कृषि बिल को लेकर कई जगहों पर गलत अफवाह फैली है, जिसका खामियाजा भी बीजेपी को भुगतना पड़ रहा है। वही गृह मंत्री अमित शाह बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि राज्यों में जाटों के बीच जो बीजेपी का एक अच्छा प्रभाव बना हुआ है, वह किसी भी अफवाह के कारण बर्बाद हो जाए, इसलिए उन्होंने विधायकों और नेताओं को यह हिदायत दे दी है कि वह बुकलेट और टेम्प्लेट के जरिए जाटों के बीच में कृषि बिल कानून के तथ्यों के बारे में जानकारी साझा करें। ताकि जो लोग आंदोलन की आड़ में अपनी रोटियां सेकना चाहते हैं वह कामयाबी हासिल ना करते हैं।
खबरों के अनुसार बैठक में जेपी नड्डा ने सभी विधायकों नेताओं को यही हिदायत भी दी है कि मोदी सरकार हमेशा किसानों के आंदोलन में ही फैसला लेती है, इसलिए जनता के बीच में जानकारी इस तरीके से साझा करनी होगी, जिसकी वजह से किसी को परेशानी भी ना हो और हम अपनी बात उन तक आराम से पहुंचा भी सकें। बता दे एक अनुमान के मुताबिक अगर जाट समाज बीजेपी से नाराज होती है, तो चुनाव के 40% सीटों पर बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ सकता है। वहीं वामपंथी विचारधारा के लोग किसी भी तरीके से किसानों के बीच में भ्रम फैलाने में लगे हुए हैं। ताकि इसका सीधा असर बीजेपी के सीटों पर पड़े, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद इस मामले पर नजर बनाना शुरु कर दिया है।