भारतीय जनता पार्टी बिहार चुनाव के बाद अब पंजाब में अपनी सरकार बनाना चाहती है। इसीलिए पंजाब में 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पंजाब की कमान संभालने का निर्णय ले लिया है। प्रदेश में संगठन के कार्य को देखने के लिए दिग्गज तथा अनुभवी नेताओं को प्रदेश में भेजा जाएगा। बिहार से निपटने के बाद भाजपा के लिए पंजाब को जीतना एक प्रमुख लक्ष्य होगा। भाजपा चाहती है कि इस बार पार्टी अपने दम पर पंजाब में सरकार बनाएं। प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के सहारे भाजपा चाहती है कि पंजाब में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार बने। इसी वजह से पार्टी किसी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांगेगी। वैसे भी भाजपा के पास पंजाब में कोई ऐसा नेता नहीं है जिसके भरोसे पंजाब में सरकार बनाई जा सके। हालांकि अन्य पार्टियों के कुछ ऐसे प्रमुख नेताओं को पार्टी में शामिल किया जा सकता है जो कि अनुभवी हो और उन पर किसी प्रकार का कोई दाग न हो !..
भाजपा के सहयोगी दल अकाली दल ने अब भाजपा से अपना समर्थन वापस ले लिया है और भारतीय जनता पार्टी अकाली दल द्वारा समर्थन वापस लेने के इस मौके को खोना नहीं चाहती है।यह बताया जाता है कि भाजपा के राज्य के नेता यह चाहते थे कि भारतीय जनता पार्टी अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़े। लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था और अब अकाली दल ने भाजपा को ऐसा मौका दे दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सभी प्रमुख लोग तथा सरसंघचालक मोहन भागवत भी पंजाब को जीतने के लिए भाजपा की मदद अवश्य करेंगे। सूत्रों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी 2017 के चुनाव भी अकेले लड़ने वाली थी। मोहन भागवत समेत संघ के सभी पदाधिकारियों ने इस पूरे मामले की तैयारी कर ली थी। लेकिन RSS के पंजाब के कद्दावर पदाधिकारी ब्रिगेडियर रिटायर्ड जगदीश गगनेजा की 2016 में हत्या कर दी गई थी और उसके बाद भाजपा इतना सामर्थ नहीं कर पाई कि वह अकेला चुनाव लड़ लेती।