बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जहां का कोना-कोना राजनीति की खुशबू से महकता रहता है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने को है, राजनीति जनसभाएं तेज हो गई हैं। आरोप-प्रत्यारोप की बारिश झमाझम बरस रही है। बिहार में एक तरफ एनडीए का गठबंधन है, वही दूसरी तरफ महागठबंधन। बिहार के राजनीति में इस बार जो नया देखने को मिला वह था एनडीए से एलजेपी का बाहर जाना। LJP के अध्यक्ष चिराग पासवान के पिताजी का इसी बीच देहावसान भी हो गया। लेकिन LJP अध्यक्ष चिराग पासवान नीतीश कुमार पर हमलावर हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के खिलाफ कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। सियासी पंडितों का मानना है कि इस बार एनडीए गठबंधन मे जीतन राम मांझी के आने के बाद एलजीपी को दरकिनार कर दिया गया। वही एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान अपने 143 उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर चुके हैं। चिराग पासवान जदयू के खिलाफ भी अपने उम्मीदवार उतारेंगे।
वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन की बात करें तो इसमें आरजेडी कांग्रेस और कुछ अन्य वामपंथी दल हैं। 28 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान होगा। नेताओं की रैलियां तेज हो गई हैं, ऊंचे ऊंचे मंचों की सजावट से पूरा बिहार सजा हुआ है। 23 अक्टूबर को राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी बिहार में अपनी रैलियां करेंगे।
बिहार के राजनीतिक पार्टियों के सीटों का समीकरण
बिहार में इस बार कई पार्टियां अपनी किस्मत आजमा रही हैं। खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर चुकी पुष्पम प्रिया चौधरी भी इस बार चुनावी रण में हैं। पुष्पम प्रिया चौधरी अपनी खुद की पार्टी प्लूरल्स बना कर चुनावी मैदान में हैं।
एनडीए गठबंधन में जदयू, भाजपा, वीआईपी और हम चार पार्टियां हैं, जिनमें से 122 सीटों पर जदयू और 121 सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ रही है। ‘हम’ को जदयू अपने कोटे से सात सीटें देंगी। इस बार एनडीए गठबंधन में एलजेपी नहीं है।
महागठबंधन में इस बार 144 सीटे राजद को, 70 सीटों कांग्रेस को और 29 सीटें लेफ्ट पार्टियों को दी गई हैं। इन 29 सीटों में सीपीआई माले को 19 सीटें, सीपीएम को 4 और सीपीआई को 6 सीटें दी गई हैं।
राजद का संकल्प पत्र जारी, नीतीश कुमार ने ली चुटकी
आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव ने घोषणा पत्र जारी कर दिया है, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला भी मौजूद रहे। रणदीप सुरजेवाला ने भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसते हुए कहा की यह चुनाव दुर्दशा बनाम नई दिशा, हिंदू-मुसलमान बनाम नया आसमान है। खुद्दारी और तरक्की बनाम बटवारा और नफरत का चुनाव बताया है। घोषणा पत्र में आरजेडी 10 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है, इसी बात पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुटकी लेते हुए कहा कि नौकरी के नाम पर कहीं अपना धंधा ना चालू कर दें। चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने लालू यादव पर बिना नाम कई कटाक्ष किए। नीतीश कुमार ने कहा हम बिहार के सर्वागीण विकास के लिए संकल्पित हैं।
बिहार के आम जनता की क्या है आवाज?
बिहार चुनाव में 15 वर्ष बनाम 15 वर्ष की राजनीति तेज हो गई है। लेकिन अगर जनता की बात किया तो आज भी बिहार की जनता को किसी नेताओं से जनता को संतुष्टि नहीं मिली है। गरीबी, भूखमरी, पलायन, बाढ़ और अशिक्षा जैसे मुद्दों पर किसी राजनीतिक दल ने उतना बेहतर काम नहीं किया जिससे जनता को संतुष्टि मिल सके। हालांकि बिहार की जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस बात का श्रेय अवश्य देती है कि आज बिहार में गुंडाराज, डकैती पहले के मुकाबले बहुत कम हो गई है। आज घर की बेटियां घर से बाहर निकल सकती हैं, स्कूल, कॉलेज, ट्यूशन पढ़ने जा सकती हैं। सियासत के जानकार लोगों का मानना है कि बिहार जैसे राज्य में प्रतिभा की कमी नहीं है, और ना ही बिहार में स्रोतों की कमी है। अगर बिहार में कमी है तो सिर्फ जातिगत राजनीतिक सोच की जिसके कारण बिहार का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है।
बिहार में आज भी चुनावी मुद्दे या प्रत्याशी किए गए कामों के आधार पर नहीं बल्कि सीट की जातिगत समीकरण देखते हुए उतारे जाते हैं। यही बिहार की खूबसूरत राजनीति पर सबसे बड़ा कलंक है। बिहार को इस बार दोगुनी मार का सामना करना पड़ा, जहां एक तरफ कोरोनावायरस अपना कहर बरपाया हुआ था वहीं दूसरी तरफ बाढ़ ने अफरा-तफरी मचा दी। ऐसे में बिहार के जनता के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। संवाददाताओं से बातचीत में बिहार के लोगों ने बताया कि बाढ़ में किसी नेता ने अपनी उतनी गंभीर सक्रियता नहीं दिखाई, जिसकी बिहार को अति आवश्यकता थी। आज भी सबसे अधिक पलायन बिहार से ही होता है, इस बात को लेकर भी बिहार की जनता अपने नेताओं से नाराज हैं। साथ ही बेरोजगारी, भुखमरी, और शिक्षा जैसे मुद्दों पर हर पार्टी के नेताओं को अपना मुंह छिपाना पड़ता है।
बिहार का गरिमामयी इतिहास और बदलाव की जरूरत
बिहार की धरती राजनीति और लोकतंत्र के एकजुटता की मिसाल पेश करती है। अशोक सम्राट और चंद्रगुप्त मौर्य जैसे महान लोगों ने लोकतंत्र का आइना दिखाया है, तो वही चाणक्य ने बताया है कि राजनीति कैसे की जाती है। बिहार भूमि को जिला अधिकारियों की जननी भी कहा जाता है, क्योंकि यहां आईएएस क्वालीफाई करने वालों का प्रतिशत अधिक है। बिहार में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिसमें भारत का इतिहास नत्थी है। चाहे वह शेरशाह का मकबरा हो या नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर इन्हीं खूबसूरत स्थलों के कारण बिहार का इतिहास आज भी गरिमामयी है। बिहार में आज बदलाव की जरूरत है, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है, पलायन को रोकने की आवश्यकता है, शिक्षा के पैमानों को बदलना है। बिहार में मौजूद स्रोतों का प्रयोग करना है। यहाँ मौजूद पर्यटक स्थलों की खूबसूरती में चार चांद लगाना है। बिहार के गौरवपूर्ण इतिहास को बरकरार रखने की आवश्यकता है। बिहार में जातिगत राजनीति नहीं बल्कि शिक्षा की राजनीति करने की आवश्यकता है।
23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी करेंगे बिहार में रैली
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र चुनावी अभियान शुरू हो चुका है। क्षेत्रीय नेताओं के बाद अब राष्ट्रीय नेताओं के जनसभाओं की तैयारी शुरू हो गई है। 23 अक्टूबर को बिहार में प्रधानमंत्री मोदी अपनी 3 जनसभाएं करेंगे। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी 2 जनसभाएं बिहार में करेंगे। 28 अक्टूबर को बिहार में पहले चरण का मतदान होगा। बिहार में कुल 12 रैलियां प्रधानमंत्री मोदी करेंगे तो वहीं राहुल गांधी कुल 6 रैलियां करेंगे। राष्ट्रीय नेताओं की रैलियां मतदान के चरणों के अनुसार होगी।