देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो दिवसीय दौरे के बाद पश्चिम बंगाल के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई हैं। अमित शाह के बंगाल जाने से ना सिर्फ वहां की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी को नुक्सान हुआ है बल्कि कांग्रेस और वाम दल के भी कई विधायक ने अपनी पार्टी से इस्तीफा दे भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। शुभेंदु अधिकारी जो कि कभी ममता बनर्जी की बेहद करीबी हुआ करते थे, लेकिन उन्होंने भी विधान सभा चुनाव से ठीक पहले ममता का दामन छोड़ दिया, जिसके कारण आने वाले विधान सभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को लगभग 25 से अधिक सीटों पर नुकसान झेलना पड़ सकता है, यही नहीं शुभेंदु के साथ साथ ममता के 10 विधायकों ने भी शुभेंदु के पद चिन्हों पर चलते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। आपको बता दे कि बंगाल में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतने मात्रा में किसी दल के कार्यकर्ता ने दूसरे दल का दामन थाम लिया हो।
अमित शाह के दो दिवसीय प्रवास की मुख्य बातें
बीजेपी के नेता और देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बंगाल दौरा कई मायने में बहुत बड़ा दौरा था। इस दौरे में अमित शाह ने अपने चाणक्य नीति का प्रयोग करते हुए बंगाल कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कड़ा प्रहार किया। अमित शाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बंगाल में लोकतंत्र समाप्त हो चुका हैं, और जिस तरह से बीजेपी के कार्यकर्ता पर जान लेवा हमला हो रहा है इससे बीजेपी और मजबूती से इस ख़तम हुए लोकतंत्र को वापस लाने की कोशिश करेगी और ममता बनर्जी द्वारा किए गए सभी अलोकतांत्रिक कार्यों का जवाब बीजेपी संवैधानिक तरीके से देगी।
क्या कहता है बंगाल का वोट बैंक
पश्चिमी बंगाल जहां सदियों से वाम दलों का कब्जा था तो वहीं 2011 में हुए सिंगूर आंदोलन के बाद ममता बनर्जी एक चर्चित नेता बन कर उभरी और बंगाल का कमान अपने हाथों में लिया। पश्चिमी बंगाल की राजनीति में अपना वजूद तलाशने की कोशिश बीजेपी वर्षों से कर रही है, लेकिन बीजेपी कभी भी सफल नहीं हो पाई। पश्चिमी बंगाल की राजनीति में उभरना बीजेपी के लिए बहुत ही मुश्किल कार्य था लेकिन संघ और बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ता ने तत्परता दिखाते हुए जिस तरह से कार्य किया है अब वो दिन दूर नहीं की बंगाल में अगली सरकार बीजेपी की हो।
इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि 2017 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को महज 17 प्रतिशत वोट से ही संतुष्ट होना पड़ा था जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त कार्य करते हुए लगभग आधे से कुछ कम सीटों पार अपना कब्जा जमाया तो वहीं पश्चिम बंगाल में 40.2 प्रतिशत वोट भी प्राप्त किए जो कि बंगाल में बीजेपी का अबतक का सबसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
शुभेंदु अधिकारी के आने से मजबूत हुआ बीजेपी
टीएमसी पार्टी के संघरक्षक ममता के बेहद करीबी और सिंगूर आंदोलन के प्रखर नेता शुभेंदु अधिकारी का वर्चस्व बंगाल कि 25 से अधिक सीटों पर है, और इसका सीधा फायदा अगले साल होने वाले में चुनाव में बीजेपी को होने जा रहा है। शुभेंदु अधिकारी के पार्टी छोड़ कर जाने के बाद टीएमसी को बहुत बड़ा झटका लगा है। आपको बता दे कि शुभेंदु अधिकारी एक सशक्त राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनका प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र पर है, बल्कि पूर्वी मिदनापुर के आस-पास के जिलों में भी उनका राजनीतिक दबदबा है। शुभेंदु अधिकारी टीएमसी के 2 बार सांसद भी रह चुके हैं।
टीएमसी पार्टी के सबसे विश्वासी नेताओं में शुमार शुभेंदु अधिकारी के वर्चस्व का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता हैं की मुकुल रॉय के पार्टी छोड़ने पर टीएमसी को उतना नुकसान नहीं हुआ था जितना शुभेंदु ने पार्टी छोरते ही टीएमसी का नुकसान कर दिया।
CAA NRC निभाएगा अहम रोल
बंगाल चुनाव के दौरान बीजेपी बहुसंख्यक वोटो के ध्रुवीकरण के लिए NRC- CAA मुद्दे को अपना मुख्य हथियार बना सकती है जिसके कारण बंगाल का 70 प्रतिसत बहुसंख्यक समाज के लोगों का साथ बीजेपी को मिल जाएगा और इसका सीधा नुकसान बंगाल की मुख्य सत्ताधारी पार्टी टीएमसी को होगी। आपको बता दे बंगाल चुनाव प्रचार के दौरान धारा 370 और राम मंदिर निर्माण भी बीजेपी के एजेंडे में शामिल हो सकता है।
अमित शाह के रैली में उमरी जनसैलाब को देखते हुए एक चीज बिल्कुल स्पष्ट हो गई है कि बंगाल में बीजेपी का जनाधार बढ़ रहा है और वहां के लोग भी ममता बनर्जी के हिटलर शाही रवैए से काफी नाराज़ है और तो और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले भी कहीं ना कहीं यह दर्शाती है कि ममता कुनबे में हार का भय बिल्कुल नजर आ रहा है।