ए डी सिंह के राजनीति से जुड़ते ही बिहार के पूर्व डी जी पी अभ्यानंद ने तोड़े ‘अभ्यानंद सुपर थर्टी” से अपने रिश्ते

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बिहार । अभी हाल ही में ‘ब्रह्मजन सुपर 100’ से जुड़े अभयानंद पर आरोप-प्रत्यारोप का बाजार ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर वे अपनी घोषणा से चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं। दरअसल अभयानंद ने राज्यसभा के लिए RJD से ए डी सिंह के नाम की घोषणा होते ही ‘अभयानंद सुपर 30’ से अपने सारे रिश्ते ख़त्म हो जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि मैं मूलतः एक शिक्षक हूं और अपने जीवन काल में जब कभी किसी ने मेरी सेवा लेनी चाही, मैंने कभी ना नहीं कहा, बशर्ते मेरे नाम का कोई राजनीतिक उपयोग नहीं हो। आज जब ‘अभयानंद सुपर थर्टी’ के कर्त्ताधर्ता एक राजनीतिक दल के साथ जुड़ गए हैं। इस स्थिति में अभयानंद सुपर थर्टी के नाम से खुद का नाम हटा रहा हूँ। इस घोषणा के साथ ही 2003 में आनंद कुमार के साथ गरीब मेधावी बच्चों को IIT में एडमिशन कराने की परिकल्पना करने एवं उसे धरातल पर लाने वाले बिहार के पूर्व DGP अभयानंद ने ‘अभयानंद सुपर थर्टी’ के साथ अपने सारे रिश्ते समाप्त कर दिए हैं।

पटना साइंस कॉलेज से फिजिक्स में ग्रेजुएशन करने वाले अभयानंद ने 1977 में यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की। 1985 में बिहार के 28वें DGP का पद सुशोभित करने वाले अपने पिताजी जगदानंद जी की तरह अभयानंद भी साल 2011 में बिहार के DGP पद को बाखूबी संभाल लिया। लेकिन शिक्षा के प्रति इनका लगाव हमेशा बना रहा। और इसी लगाव की वजह से 2003 में देश-विदेश में चर्चित ‘अभयानंद सुपर थर्टी’ की नींव रखी गई। अभयानंद यहीं नहीं रुके इन्होंने रहमानी थर्टी के साथ-साथ CSRL, आयल इंडिया सुपर थर्टी, नेशनल सुपर हंड्रेड, गेल उत्कर्ष सुपर हंड्रेड, मगध सुपर थर्टी एवं त्रिवेणी सुपर थर्टी से भी भिन्न-भिन्न शहरों में अपनी सम्बद्धत्ता को बनाये रखा। मगध सुपर थर्टी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में किसी संजीवनी से कम साबित नहीं हुआ। इस क्षेत्र के युवा अब बंदूक से नहीं कलम से अपना भविष्य सवांरने लगे हैं।

DGP पद पर रहते हुए अभयानंद ने पुलिस बल में संख्या की कमी को देखा तो इन्होंने रिटायर्ड आर्मी को ट्रेनिंग देकर फोर्स में शामिल करने का कांसेप्ट सरकार के पास भेजा जिसे तत्कालीन बिहार सरकार ने बिना देर किए स्वीकार कर लिया और स्पेशल औग्जीलरी फोर्स का गठन हुआ। अभयानंद द्वारा दिया गया यह कांसेप्ट अन्य राज्यों के लिए भी रोल मॉडल साबित हुआ जिसे उड़ीसा, मध्यप्रदेश और झारखंड सरकार भी अपना चुकी है।

अब अभयानंद जी के सुपर थर्टी से हटने के फैसले से इस शिक्षण संस्थान से जुड़े बच्चों के भविष्य पर क्या असर होगा? यह कहना थोड़ी जल्दीबाज़ी होगा। लेकिन इस संस्थान से जुड़कर अपने बेहतर भविष्य का सपना देखने वाले कई युवाओं की स्थिति किंकर्तव्यविमूढ़ वाली हो जाएगी, ऐसा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।

Image Source: Prabhat Khabar

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