देश की राजधानी दिल्ली इस समय किसानों के आंदोलन का सबसे बड़ा केंद्र बनी हुई है। राज्य के लगभग हर बॉर्डर पर देशभर के लाखों किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे हैं। किसानों और केंद्र सरकार के बीच की ये तकरार की तस्वीर किस तरह की रहेगी ये तो आने वाले समय ही बताएगा लेकिन इस आंदोलन की आड़ में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक गलियारे को बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं। एक तरफ जहां दिल्ली इन दिनों किसान आंदोलन के चलते परेशानी का सामना कर रही है तो वहीं आम आदमी पार्टी के मुख्या अरविंद केजरीवाल ने 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी सक्रियता की घोषणा अभी से कर दी है।
आम आदमी पार्टी ने बड़ा ऐलान किया है कि उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव में वह सक्रिय रूप से भागीदारी करेगी। यानी की अरविंद केजरीवाल दिल्ली की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए 2022 का चुनाव एक बड़ी पार्टी के तौर पर लड़ते दिखाई देंगे। आम आदमी पार्टी ने इस ऐलान के साथ ही चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरु कर दी है। आम आदमी पार्टी की यूपी में एंट्री जाहिर तौर पर विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती खड़ी सकती है।
यूपी में केजरीवाल की एंट्री
दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि आम आदमी पार्टी यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। केजरीवाल ने कहा कि अगर यूपी में हमें एक बार भी सरकार में आने का मौका मिला तो मैं दावा करता हूं कि यूपी के लोग सारी पार्टियों को भूल जायेंगे। आम आदमी पार्टी द्वारा यूपी की जनता तक पहुंचने की कवायद भी शुरु की जा चुकी है। योगी सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर रही आम आदमी पार्टी के लिए यूपी जीतना भले ही थोड़ा मुश्किल हो लेकिन अरविंद केजरीवाल की एंट्री 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की लड़ाई को बेहद दिलसच्प बना सकती है।
क्या यूपी में सफल होगा दिल्ली मॉडल?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली मॉडल को लेकर यूपी की जनता के समक्ष होंगे लेकिन क्या दिल्ली मॉडल उत्तर प्रदेश की जनता को लुभा पाएगा? आबादी के लिहाज से दिल्ली यूपी से कई गुना पीछे है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा, चिकित्सा, पानी, बिजली, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था की बदहाली से जूझ रहा है। ऐसे में दिल्ली मॉडल यूपी को बदल कर रख देगा। लेकिन सवाल ये है कि क्या 2 करोड़ की आबादी वाले राज्य का मॉडल देश के सबसे बड़े राज्य में सफल हो पाएगा या नहीं?
सपा, बसपा और कांग्रेस को मिलेगी चुनौती
अरविंद केजरीवाल के यूपी में चुनाव लड़ने के बाद समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के लिए जाहित तौर पर मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सपा, बसपा और कांग्रेस की पहले सीधी लड़ाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से थी लेकिन अरविंद केजरीवाल के चुनाव लड़ने के बाद इन तीनों ही पार्टियों को आम आदमी पार्टी के खिलाफ भी रणनीति तैयार करनी होगी। दूसरी तरफ दिल्ली, पंजाब और उत्तराखण्ड के बाद आम आदमी पार्टी यूपी में लगातार सक्रिय होती जा रही है। पिछले कई सालों से राज्यसभा सदस्य और AAP के वरिष्ठ नेता उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं। वह कई मौकों पर यूपी में सत्तासीन योगी आदित्यनाथ सरकार पर राजनीतिक हमले चुके हैं। कोरोना काल के दौरान भी संजय सिंह लगातार सीएम योगी और अन्य पार्टियो पर हमले कर रहें थे। ऐसे में केजरीवाल विपक्ष के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।
सीएम योगी को हराना नहीं होगा आसान
भले ही आम आदमी पार्टी का यूपी में दस्तक देना विपक्षी पार्टियों के लिए चिंता का सबब माना जा रहा हो लेकिन भाजपा और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकस्त दे पाना अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए बिलकुल आसान नहीं रहने वाला। हाल ही में हुए राज्य के विधानसभा उप चुनावों में भाजपा ने 7 में से 6 सीटें जीतकर एकतरफा जीत हासिल की थी। भाजपा का ये प्रदर्शन बताने के लिए काफी है कि प्रदेश की जनता में योगी सरकार पर विश्वास किस तरह से बरकरार है। 2017 में भाजपा ने अकेले दम पर 312 सीटें जीतकर इतिहास रचा था। दूसरी ओर कोरोना काल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की बात हो या पलायन कर रहें मजदूरों की घर वापसी के साथ उनके रोजगार की, योगी आदित्यनाथ राज्य की जनता को भरोसे पर पूरी तरह से खरे उतरे हैं। ऐसे में उनके हाथों से सत्ता की चाबी छीन पाना आम आदमी पार्टी के अलावा अन्य पार्टियों के लिए इतना भी आसान नहीं रहेगा।
बदल जाएगा यूपी का समीकरण
यूपी की राजनीति में आम आदमी पार्टी के कदम पड़ने के बाद एक बात तो तय है कि आने वाले चुनावों में प्रदेश की राजनीति का समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा। अरविंद केजरीवाल के अलावा औवेसी पहले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। हालांकि वह कितनी सीटों पर प्रतिनिधि उतारेंगे ये कोई नहीं जानता। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव किसान आंदोलन (Farmer Protest) को समर्थन देते हुए सड़क पर उतर ही चुके हैं और ऐलान भी कर दिया है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा का गठबंधन किसी बड़े दल के साथ नहीं होगा बल्कि छोटे छोटे दलों के साथ होगा। इन सभी पार्टियों का केंद्र योगी आदित्यनाथ ही होंगे। ऐसे में केजरीवाल की एंट्री के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव पिछले कई चुनावों से ज्यादा दिलचस्प हो सकते हैं।