अमेरिका-ईरान के बीच नहीं थमा विवाद, तो भारत पर पड़ेगा सबसे बड़ा असर

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अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। वर्तमान परिस्थिति को देखा जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा कि किसी भी समय दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। दरअसल कुछ दिनों पहले अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी। जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराए जाने के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। आमतौर पर अमेरिका-ईरान के बीच इस प्रकार की स्थिति बनी ही रहती है लेकिन इस विवाद ने अब आग में घी डालने का काम कर दिया है।

अगर अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होता है तो यह लड़ाई लंबी चल सकती है। इस युद्ध से अमेरिका और ईरान पर क्या असर पड़ेगा, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन ये भी सच है कि दोनों देशों के बीच जारी विवाद अगर युद्ध में बदलता है तो यह भारत के लिए काफी बड़ी परेशानी का कारण बनेगा। इस युद्ध से भारत को व्यापार के साथ तेल की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। भारत (India) तेल का सबसे ज्यादा हिस्सा ईरान से ही आयत करता है। इसके अलावा अमेरिका-ईरान का तनाव भारत को कई और मुसीबतों की ओर धकेल सकता है। आइए जानते हैं कैसे इन दो देशों के बीच होने वाले झगड़े का असर भारतीय बाजार पर पड़ेगा।

बढ़ सकते है तेल के दाम

अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति भारत के लिए इसलिए चिंता का विषय है क्य़ोंकि इसका असर सीधा भारत में तेल की कीमतों पर पड़ेगा। भारत अपनी जरूरत का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है। भारत के पास मौजूदा वक्त में करीब 10 दिन का तेल है। अमेरिका और ईरान का तनाव अगर युद्ध का रूप धारण कर लेता है तो तेल के दामों में अप्रत्याशित बढ़त होने की आशंका है। तेल की कीमत बढ़ने का असर हर नागरिक पर पड़ सकता है। आशंका जताई जा रही है कि इस युद्ध के बाद भारत (India) के कई राज्यों में तेल की कीमतें 90रुपये तक भी पहुंच सकती हैं।

वित्तीय घाटे पर पड़ेगा असर

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और भी ज्यादा बढ़ता है तो इसका असर भारत के वित्तीय घाटे पर सबसे ज्यादा पड़ेगा। इस युद्ध से तेल की कीमतें बढ़ेगी। इसका परिणाम यह होगा कि भारत को तेल के लिए ज्यादा रकम चुकानी होगी, जिससे सरकार का वित्तीय घाटा और भी बढ़ सकता है। भारत पहले ही अर्थव्यवस्था की मार झेल रहा है। ऐसे में तनाव का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है।

तेल की कमी से जूझ सकता है भारत

ईरान कच्चे तेल के निर्यात वाला सबसे बड़ा देश है। युद्ध के दौरान ईरान तेल की निर्यात पर रोक भी लगा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो भारत के कई राज्य तेल की कमी से जूझ सकते हैं। वर्तमान में भारत के पास आपातकाल की स्थिति में प्रयोग करने के लिए रिजर्व के तौर पर केवल 3.91 करोड़ बैरल तेल मौजूद है, जो सिर्फ 9.5 दिन ही चल सकता है। रिजर्व तेल के बाद भारत को और तेल का इंतजाम करने के लिए काफी दिनों का समय लग सकता है।

खतरे में पड़ सकता है चाबहार

भारत (India) ने ईरान के रास्ते अफगानिस्तान तक सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए ईरान के चाबहार पोर्ट में करोड़ों डॉलर का निवेश कर रखा है। भारत ने 2002 में चाबहार बंदरगाह के विकास की नींव रखी थी। चाबहार के कारण भारत अपने माल को रूस, तजकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजकिस्तान और उजेबकिस्तान भेज पा रहा है। युद्ध की स्थिति के बाद चाबहार पोर्ट खतरे में पड़ सकता है जिससे भारत को व्यापार में काफी नुकसान भी हो सकता है।

Image Source: Wikipedia

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