कोरोना महामारी के दौरान भले ही भारत कई चुनौतियों का सामना करते हुए अर्थव्यवस्था के लिहाज से दूसरे देशों के मुकाबले थोड़ा पिछड़ गया हो लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति भारत को एक नई दिशा देने का हर बेहतर प्रयास करने में लगी है। कोरोना महामारी के दौरान भी विदेशी निवेशों ने भारत पर अपना भरोसा कायम रखा है। यही कारण है कि भारत ने संकट के बीच भी एक खास उपलब्धि अपने नाम कर ली है। दरअसल देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) 4 जून, 2021 को समाप्त सप्ताह में 6.842 अरब डॉलर बढ़कर पहली बार 600 अरब डॉलर को पार कर गया। इसी के साथ भारत ने विश्व के सामने एक बार फिर नई मिसाल पेश की है।
भारत ने कायम किया रिकॉर्ड
विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में इस नए रिकॉर्ड के साथ भारत दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा देश बन गया है। बता दें कि पिछले कुछ समय में विदेशी मुद्रा आस्तियों में बेहतर वृद्धि देखी गयी थी। यही कारण रहा कि सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 605.008 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। भारत के लिए इसे खास कामयाबी इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका भी इस मामले में भारत से पीछे रह गया है। फॉरेक्स रिजर्व 142 अरब डॉलर के साथ अमेरिका इस सूची में 21वें स्थान पर है। जबकि भारत ने 5वे नंबर पर जगह बना ली है।
कई देशों को छोड़ा पीछे
फॉरेक्स रिज़र्व के मामले में भारत ने अमेरिका को ही नहीं बल्कि कई बड़े देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। अब इस लिस्ट में भारत से उपर केवल चीन, जापान, स्विटजरलैंड और रुस ही हैं। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां आलोच्य सप्ताह के दौरान 7.362 अरब डॉलर बढ़कर 560.890 अरब डालर हो गई। यानी की समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में बढ़ोत्तरी ने विदेशी मुद्रा भंडार को पहली बार 600 अरब डॉलर के पार पहुंचाया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भले देश के FCA को डॉलर में व्यक्त किया जाता हो, लेकिन इसमें यूरो, पौंड, येन जैसी कई अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राएं शामिल होती हैं, और उनके मूल्य की गणना डॉलर में की जाती है. ये कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक मुख्य अवयव होता है।