पक्के मकानों के बाद अब बॉर्डर पर खेती की तैयारी कर रहे हैं किसान, रोजमर्रा की जरूरतों के हिसाब से उगाए जाएंगे पौधे

3 महीनों से जारी किसान आंदोलन का हल निकलेगा या नहीं निकलेगा इसका पता तो भी किसी को नहीं है,लेकिन कुछ समय पहले खबर आई थी कि दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर अब किसान पक्के मकान बना रहे हैं। लेकिन अब कई मीडिया रिपोर्ट्स यह भी बता रही हैं कि किसान अपनी दैनिक दिनचर्या में काम आने वाले पौधों को भी बॉर्डर पर उगाने का काम करेंगे।

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चित्र साभार: ट्विटर @ANI

किसानों का आंदोलन दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। 26 जनवरी के दिन दिल्ली में जो हिंसा घटित हुई उसके बाद अभी तक सरकार और किसानों के बीच कोई भी बातचीत नहीं हुई है। किसान नेता भी अब बातचीत करने के मूड में नहीं है। अलग-अलग प्रदेशों में जाकर वहां की राजनीति को प्रभावित करने का काम अब किसान नेता भी कर रहे हैं। राकेश टिकैत तथा योगेंद्र यादव पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं और भाजपा को हराने की अपील लोगों से कर रहे हैं। कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि किसान अब बॉर्डर्स पर पक्के मकान बना रहे हैं लेकिन अब यह खबर आई है कि किसान इन बॉर्डर्स पर खेती करने की तैयारी भी कर चुके हैं।

किसान नेता अंकूर मंदौला ने बताया कि खाली पड़ी जगह पर कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ऐसे में अब किसान इस जगह को खेती के लिए इस्तेमाल करेंगे। खेती से होने वाली फसल को आंदोलन में इस्तेमाल करने के साथ ही स्थानीय लोगों के काम भी आ सकेगी। आंदोलन के साथ ही किसान जो काम कर सकता है वो यहां किए जाएंगे।

किसान नेता अनूप सिंह चानौत का कहना है कि सरकार किसानों की मांग पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है। सौ दिन से ज्यादा दिन गुजर जाने के बाद भी किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं। ऐसे में किसानों को खाली बैठने की आदत नहीं है। जिसके चलते आंदोलनस्थल पर ही किसान अपने लिए संसाधन जुटाने लगे हैं। अनूप सिंह चानौत ने कहा कि सरकार का भरोसा नहीं है कि वह कब बात करेगी? ऐसे में जब लंबे समय तक बॉर्डर पर बैठना है तो पक्के मकान के बाद अब जरूरत के लिए खेती भी यहीं अनूप सिंह चानौत ने शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी वजह से किसी को कोई परेशानी न हो इसका किसान पूरा ध्यान रख रहे हैं।

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