बिहार के बाद अब भाजपा की नजर बंगाल पर, हाईकमान के हाथों में होगी ‘मिशन बंगाल’ की डोर

2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव का बिगुल कुछ ही समय में बजने वाला है। भाजपा ने बिहार चुनाव के दौरान ही बंगाल फतेह का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया था। बिहार में मिली जीत के बाद बीजेपी का अगला लक्ष्य मिशन बंगाल रहेगा।

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चित्र साभार: ट्विटर @AmitShah

क्या इस बार पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के गुंडाराज का अंत होगा? क्या तृणमूल कांग्रेस को उनके किए की सजा मिलेगी? क्या बंगाल में हुई हत्याओं के परिवारों को इंसाफ मिलेगा? क्या बीजेपी बंगाल में बड़ा उलटफेर करेगी? इम सभी सवालों का जवाब अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद मिल जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने के बाद भाजपा ने अगला दूसरा बड़ा राज्य पश्चिम बंगाल पता करने की पूरी तैयारी कर ली है। बंगाल में ममता सरकार को घेरने का भाजपा का ब्लूप्रिंट भी बन कर पूरी तरह से तैयार है। अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार खुद स्थिति का जायजा ले रहे हैं। बिहार में मिली एकतरफा जीत के बाद पूरी पार्टी और कार्यकर्ता इस समय पूरे जोश के साथ बंगाल फतेह की कोशिश में जुट गए हैं।

गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा लगातार पश्चिम बंगाल का दौरा कर कार्यकर्ताओं में उत्साह भर रहे हैं। 2021 के शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल कुछ ही समय मे बजने वाला है। बिहार के बाद पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी के लिए दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। यहां अगर कहीं भाजपा सरकार बना पाने में कामयाब हो जाती है तो इसे भाजपा के लिए अब तक की सबसे बड़ी जीत के तौर पर भी देखा जाएगा। पार्टी ने चुनावों के लिए ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ हाई-वोल्टेज हमले के लिए मैदान तैयार करना शुरू कर दिया है।

राज्य में भाजपा का बढ़ता कद

2014 के बाद जाहिर तौर पर पश्चिम बंगाल में भाजपा का समीकरण पार्टी के हक में रहा है। प्रदेश के लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता पार्टी के कार्यकर्ताओं में अलग जान फूंकने का काम कर रही है। 2016 में भले ही बीजेपी ने विधानसभा चुनाव 10.16 फीसदी वोट के साथ खत्म किए हो लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में 40.64 फीसदी वोट के साथ बंगाल की 18 सीटें जीतकर बीजेपी ने राज्य में अपने जनाधार को कायम रखा है। पिछले कुछ सालों में भाजपा की पकड़ पश्चिम बंगाल में लगातार मजबूत बनी है।

हिंसा को हथियार बनाएगी भाजपा

पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ सालों में लगातार हुई हिंसाओं और हिंदुओं की हत्याओं को अपने सबसे बड़ा हथियार बनाकर भारतीय जनता पार्टी ममता सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। मौजूदा समय मे बंगाल में लगातार राजनैतिक हिंसा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ममता सरकार की भी यही सबसे बड़ी परेशानी है। दूसरी तरफ महापुरुषों पर भी बीजेपी का इस बार फोकस रहेगा। पीएम मोदी और अमित शाह जैसे बड़े नेताओं द्वारा रविन्द्र नाथ टैगोर, राजा राममोहन राय, ईश्वर चंद विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद का जिक्र हर कार्यक्रम में होता दिखाई देगा।

पांच जोन में बंटी बीजेपी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के हर चुनाव से पहले संगठन को मजबूती देने की कवायद में जुट जाते है। बंगाल चुनाव से पहले भी भाजपा कुछ इसी तरह की तैयारी में जुट गई है। भाजपा ने बंगाल चुनाव के राज्य में अपने संगठन को मजबूती देने के लिए पांच जोन में बांटकर बड़े नेताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। इन्ही 5 नेताओं के कंधों पर चुनाव जीतने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। राष्ट्रीय सचिव विनोद सोनकर को राबंगा, सुनील देवधर को हुबली मेदिनी, महासचिव दुष्यंत गौतम को कोलकाता, नबादीप को विनोद तावड़े और उत्तर बंगा की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश सिंह को दी गई है। ये सभी नेता बूथ कार्यकर्ताओं से संवाद कर फीडबैक अमित शाह और जेपी नड्डा को देंगे।

नॉर्थ-साउथ की सीटों पर असल लड़ाई

नॉर्थ पश्चिम बंगाल की 55 और साउथ की 85 सीटें इस बार चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाली है। भाजपा इस समय नॉर्थ की 55 विधानसभा सीटों पर अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है। इन 55 सीटों पर बांग्लादेश से आये हिन्दू शरणार्थी कोर वोटर्स है। इन शरणार्थियों में बीजेपी का विश्वास बना है। 2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को इसी इलाके से सबसे ज्यादा फायदा मिला था। नॉर्थ में बीजेपी और TMC के बीच लड़ाई काफी दिलचस्प हो सकती है।

वहीं अगर दक्षिण बंगाल की बात करें तो दक्षिण बंगाल सबसे ज्यादा हिंसाओं का केंद्र माना गया है। अकेले दक्षिण बंगाल में 122 लोगों की हत्याओं की बात सामने आई है। दक्षिण बंगाल की 85 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जहां अल्पसंख्यक वोटों की बड़ी संख्या है। ये 85 सीटें किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। TMC की गुंडागर्दी के बीच भाजपा इन सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूत करना चाहेगी।

अमित शाह-जेपी नड्डा निभाएंगे मुख्य भूमिका

बिहार चुनाव के दौरान ही अमित शाह पश्चिम बंगाल में काफी एक्टिव नजर आए थे। दूसरी तरफ जेपी नड्डा भी लगातार पश्चिम बंगाल में चल रही जमीनी स्तर की तैयारियों का जायज़ा ले रहे है। ऐसे में साफ है मिशन बंगाल की डोर आलाकमान के हाथों में रहने वाली है। अमित शाह के अलावा बंगाल फतेह की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय, दिलीप घोष, मुकुल रॉय, शिवप्रकाश सिंह, जैसे दिग्गज नेताओं के कंधों पर होगी।

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