मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘वल्नरबिलिटी इंडेक्स’ में भारत के 20 जिले शामिल हैं। जिनमें केवल बिहार के ही 8 जिले हैं। जुलाई में कोरोना संक्रमण के मामलों को अध्ययन करने के बाद आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि नीतीश कुमार की सरकार कहां पर लापरवाह हो गई? जिसका परिणाम बिहार को भोगना पड़ेगा।
पिछले दिनों लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा था, “बहुत कम टेस्टिंग के बावजूद बिहार में प्रतिदिन हजार मरीज निकल रहे हैं। यदि यही टेस्टिंग 30 से 35 हजार प्रतिदिन कर दी जाए तो बिहार से प्रतिदिन 4 से 5 हजार कोरोना संक्रमित निकलेंगे। एक महीने के भीतर भारत का ही नहीं विश्व का ग्लोबल हॉटस्पॉट बन जाएगा बिहार।”
आइए जानते हैं नीतीश कुमार की वह कौन सी गलतियां हैं जिसके कारण बिहार में लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं?
बिहार की जर्जर चिकित्सा व्यवस्था
बिहार की चिकित्सा व्यवस्था किसी से भी छिपी नहीं है। कई विद्वानों के अनुसार बिहार में हेल्थ केयर सिस्टम की खस्ता हालत ही बिहार के कोरोना विस्फोट के लिए ज़िम्मेदार है। क्योंकि अगर बिहार की चिकित्सा व्यवस्था अच्छी होती तो बिहार में इस तरह हालात नहीं बिगड़ते। नालंदा मेडिकल कॉलेज पटना में कोविड अस्पताल है। वहाँ एनेस्थेसिया विभाग में सीनियर रेजिडेंट्स के 25 पद हैं। उनमें से एक भी पद पर आज की तारीख़ में डॉक्टर नहीं है। 60 साल की उम्र से अधिक दो डॉक्टरों और 5 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की मदद से आज किसी तरह से काम चल रहा है। एक अनुमान के अनुसार बिहार के मेडिकल कॉलेजों में 3000 पद खाली हैं। जिसके लिए लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेजे गए हैं लेकिन आज तक उस पर कोई भी कारवाई नहीं हुई। मरीजों और डॉक्टरों के बीच का अनुपात सही ना होने के कारण बिहार में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
निचले स्तर की राजनीति
बिहार हमेशा ही अपनी राजनीति के कारण प्रसिद्ध रहा है। बिहार की राजनेताओं ने पूर्वजों द्वारा बनाए गए बिहार को अंदर से खोखला कर दिया है। इसी का कारण है जब प्रवासी मजदूर एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश पहुंचे तो वहां के मुख्यमंत्रियों ने जमीन पर उतर कर लोगों की सहायता करने का प्रयास किया था भले ही वे सहायता उपयुक्त थी या नहीं थी। लेकिन वहां के मुख्यमंत्री वहां का पूरा मंत्रिमंडल इस कार्य में लगा हुआ था कि कैसे भी उस व्यवस्था को संभाला जाए।
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देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश जिसमें सबसे अधिक मजदूर आए थे। उसके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी पूरी ताकत के साथ उन मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का प्रयास किया और उसके बाद उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का भी कार्य किया। लेकिन बिहार के मामले में विपक्षियों ने हमेशा यही दावा किया कि नीतीश कुमार तो अपने घर में बैठकर क्वारंटाइन हो गए हैं। लालू प्रसाद यादव का भी यही कहना था कि सेनापति मैदान छोड़कर भाग गया है और सेना मैदान में लड़ रही है। वास्तविकता में नीतीश कुमार को पिछले 4 महीनों में कोरोना संक्रमण को रोकने के जो कदम उठाने चाहिए थे, उन्होंने कोई ऐसा कदम नहीं उठाया।