बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीति अपने चरम पर है। कोरोनावायरस के कारण किसी भी प्रकार की जनसभा करने की आजादी नहीं है इसीलिए सभी राजनैतिक पार्टियां वर्चुअल रैलियों के द्वारा अपने कार्यकर्ताओं और जनता को संबोधित कर रहे हैं। यह संवाद दो चरण में हो रहे हैं। पहले चरण में सभी नेता जनता से संवाद कर रहे हैं और दूसरे चरण में जनता तक अपनी पार्टी की बात पहुंचा रहे हैं। प्रचार के पहले चरण में ही बहुत सारी पार्टी के नेता कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके बाद ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि यदि ऐसी स्थिति रहती है तो बिहार विधानसभा चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं? भारतीय जनता पार्टी और नीतीश कुमार की पार्टी का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव जल्द से जल्द हों। वही भारतीय जनता पार्टी की साथी लोजपा, कांग्रेस और राजद का मानना है कोरोना संक्रमण के चलते बिहार विधानसभा चुनाव को कुछ दिनों बाद कराया जाए।
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गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में यह घोषणा कर दी है कि एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में चुनाव लड़ेगा। उधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव राजद के मुख्यमंत्री प्रत्याशी होंगे और बाद में उन्हें कांग्रेस का समर्थन भी प्राप्त हो सकता है। नीतीश कुमार ने अपने चुनाव प्रचार के लिए चार टीमों का गठन किया है। ये टीमें प्रतिदिन कुल 16 विधानसभाओं तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास करेंगी। भारतीय जनता पार्टी और जदयू इसीलिए चुनाव कराने की जल्दी कर रहे हैं क्योंकि यह चुनाव सोशल मीडिया के आधार पर लड़ा जाना है और सोशल मीडिया के तो भारतीय जनता पार्टी के लोग बादशाह हैं। 11 जून से 6 जुलाई तक प्रधानमंत्री द्वारा लिखा हुआ पत्र घर-घर पहुँच चुका है। उधर प्रधानमंत्री मोदी ने कई महीनों तक मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों के लिए राशन फ्री कर दिया है। इस योजना का सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है।
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