मोदी सरकार ने सबको पक्का घर दिलाने के मकसद से प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी। लेकिन सरकार की ये योजना कई लोगों पर भारी पड़ती दिख रही है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के पेंड्रा जिला में प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यहां दो-दो परिवार के लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर नहीं मिलने का दावा किया है, जबकि उनका नाम लाभार्थियों की लिस्ट में शामिल है। उषा बाई कोल और गुड्डा रौतेल ने आरोप लगाया है कि ना ही उन्हें घर के लिए पैसे मिले हैं और ना ही उन्हें कहीं घर दिया गया है। गुड्डा रौतेल ने कहा, ‘किसी ने मेरी तस्वीर खींच ली और मुझे कहा कि आपको घर मिलेगा। लेकिन आज तक मुझे घर नहीं मिला है।
मैं दूसरे के घर में रहता हूं। अगर उस घर के मालिक ने कहा तो मुझे वह घर छोड़ना होगा। मुझे कुछ नहीं पता है कि आखिर मेंरे घर के लिए जो पैसे दिए गए, वे कहां हैं?’ उन्होंने बताया कि उनकी बहन का भी घर नहीं बना है। वहीं ऊषा कहना हैं कि घर नहीं बना है, अगर बना होता तो वहीं रहते पता नहीं साहब कौन क्या किया है? घर बन गया तो वहां रहते, अभी भाई के घर में हैं। मामले में एफआईआर दर्ज हो गई है, प्रशासन कहता है जांच करेंगे। इस मामले पर जब पेंड्रा के मुख्य कार्यकारी अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने जांच की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामलो में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी और जिनके नाम से घर है उन्हें घर दिया जाएगा। वहीं, इस मामले में पेंड्रा के डीएम डी सिंह ने जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। साथ ही कहा कि दोनों को न्याय मिलेगा। डीएम ने कहा, ‘यह मामला मेरे संज्ञान में आया है।
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मैंने संबंधित अधिकारी को जांच करने का आदेश दे दिया है और रिपोर्ट मांगी है। दोनों लाभार्थियों को घर दिलाना और दोषियों को सजा दिलवाना हमारी पहली प्राथमिकता है।’ पेंड्रा के इंस्पेक्टर आई तिर्की ने कहा, ‘इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गई है।’ गौरतलब है कि 2022 तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2 करोड़ 95 लाख घर बनाने का लक्ष्य है। इनमें से दो करोड़ 21 लाख आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं। अभी तक एक करोड़ चार लाख आवास बने हैं। कोरोना संक्रमण के चलते मामले में कुछ देर हुई है लेकिन ये भी सच है कि केन्द्र और राज्यों की लेटलतीफी का अंजाम गरीब भुगत रहे हैं।