देश में आ चुके कोयला संकट में देशवासियों को और विभिन्न राज्य की सरकारों को क्षणिक रूट से परेशान कर दिया है। इस कोयला संकट से उबरने के लिए लगातार केंद्र सरकार के द्वारा तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत जहां कोयला उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं वहीं राज्यों से कहा गया है कि वो अपने हिस्से का कोयला भी उठा लें। सरकार ने कहा है कि कुछ ही दिनों में ये संकट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। सरकार पहले ही ये साफ कर चुकी है कि देश में कोयले का पर्याप्त भंडार मौजूद है। आपको हम यह भी बता दें कि देश के 75% बिजली का उत्पादन कोयला पर आधारित बिजली संयंत्रों से ही होता है। ऐसे में यदि कोयला संकट बढ़ा तो देश में बिजली का संकट भी उत्पन्न हो सकता है।
पिछले कुछ दिनों से देश में जो कोयले का संकट हुआ है उसकी सबसे प्रमुख कारण है कोयला उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में जबरदस्त बारिश का होना, बाढ़ का आना तथा कोयले की ढुलाई में आने वाली रुकावटें….इसके अलावा ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ये भी मानते हैं कि देश में कोयला खनन की तकनीक पुरानी हो चुकी है। इन सभी समस्याओं के अलावा जिस समस्या का जिक्र सरकार ने किया है उसमें राज्यों द्वारा कोल इंडिया की बकाया राशि का भुगतान न किया जाना भी है। आपको बता दें कि दो दिन पहले ही जब पीएम ने इस मुद्दे पर समीक्षा बैठक की थी तभी ये बात सामने निकलकर आई थी कि राज्यों को करीब 21 हजार करोड़ रुपया का बकाया कोल इंडिया को चुकाना बाकी है। इसमें कोयले की कमी की वजह में ये भी कहा गया था कि राज्यों ने न तो इस बकाया राशि का भुगतान ही किया है और न ही अपने हिस्से का कोयला ही उठाया था, जिसकी वजह से ये समस्या बनी।
इन राज्यों को करना है कोल इंडिया की बकाया राशि का भुगतान
महाराष्ट्र – 2,600 करोड़
बंगाल – 2,000 करोड़
तमिलनाडु – 1,000 करोड़
मध्य प्रदेश – 1,000 करोड़
कर्नाटक – करोड़
राजस्थान – करोड़
आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में देश से कोयला का संकट समाप्त हो जाएगा। साथ ही ये भी उम्मीद जताई है कि स्थिति सुधरने पर ये राज्य कोल इंडिया को बकाया राशि का भुगतान भी कर देंगे। सरकार ने सीधेतौर पर ये बात कही है कि मानसून में होने वाली परेशानी को देखते हुए राज्यों को ये कहा था कि वो कोयले का भंडार सुनिश्चित कर लें। इसके बावजूद भी राज्यों ने केंद्र की अनदेखी की थी, जिसकी वजह से इस समस्या ने विकराल रूप ले लिया और कुछ बिजली संयंत्रों को बंद तक करना पड़ा था, जबकि कुछ में एक से तीन दिन का ही कोयला शेष बचा हुआ था। यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि देश में कोयले का रिकार्ड उत्पादन हुआ है।