उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी राजनीतिक चर्चाओं का बिगुल फूंक दिया है। भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस पार्टी अपनी अपनी रणनीतियां बना रही हैं। कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि पार्टी अपनी रणनीति पर विचार कर रही है कि चुनाव से पहले सीएम के चेहरे को प्रोजेक्ट किया जाए और यह भी तय है की वो चेहरा भी ब्राह्मण ही होगा। हालांकि पार्टी इस बात पर भी मंथन कर रही है की सीएम के साथ ही 3 डिप्टी सीएम का फार्मूला भी रखा जाए जो दलित, मुस्लिम और ओबीसी समाज से होगा। वैसे भी हम आपको बता दें कांग्रेस पार्टी के पास उत्तर प्रदेश में खोने के लिए कुछ भी नहीं है ऐसे में यदि ये फार्मूला पार्टी को कुछ सीटों पर देता है तो निश्चित रूप से पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।
वन इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने बताया कि, ”ये आज की बात नहीं है। पिछले 2 महीने से इस बात पर मंथन चल रहा है कि कोई ऐसा फॉर्मूला निकाला जाए जिससे समाज में एक सोसल इंजीनियरिंग का मेसेज जाए और विरोधी पार्टियों को जवाब भी दिया जाए। बीजेपी और बीएसपी की तरफ से ब्राह्मणों को रिझाने के लिए पूरे प्रदेश में प्रबुद्ध सम्मेलन कर रही है। लेकिन कांग्रेस की सोच अलग है। पार्टी का मानना है की सीएम के चेहरे के साथ ही चुनाव में जाना सही होगा। इसके साथ 3 डिप्टी सीएम का फार्मूला भी तय हो सकता है।”
प्रमोद तिवारी का समूह कांग्रेस पार्टी के इस पूरे अभियान को आगे ले जायेंगे। सूत्रों की माने तो कांग्रेस ब्राह्मण चेहरे के तौर पर प्रमोद तिवारी को आगे कर सकती है। और यदि प्रमोद तिवारी पर सहमति नहीं बनती है तो उनकी बेटी और चार बार की विधायक आराधना मिश्रा को इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है। आराधना मिश्रा को प्रियंका गांधी का काफी करीब माना जाता है। कद्दावर नेता जितिन प्रसाद और रीता बहुगुणा जोशी के भारतीय जनता पार्टी में जाने के बाद अब कांग्रेस पार्टी के पास कुछ ही ब्राह्मण चेहरे बचे हैं जिन पर पार्टी दाव लगाने का सोच सकती है।
विद्यांत कॉलेज के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मनीष हिंदवी कहते हैं कि, “अगर ऐसा है तो कांग्रेस बहुत बड़ी गलती करने जा रही है। एक समय था जब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सपा के चीफ अखिलेश यादव के साथ मिलकर यूपी में गठबंधन किया था।” याद करिए कि उस गठबंधन में युवा सोच और जोश का नारा दिया गया था लेकिन गठबंधन का फायदा अखिलेश यादव को मिल गया कांग्रेस उसका फायदा नहीं उठा पाई। रही बात सीएम चेहरे और तीन डिप्टी सीएम की तो चेहरा दे देने भर से ब्राह्मण वोटर इनके साथ जुड़ जाएगा, यह कहना कठिन है क्योंकि ब्राह्मण हमेशा उस पाले में जाता है जो सत्ता के ज्यादा करीब होती है। अगर किसी ब्राह्मण चेहरे को सीएम प्रोजेक्ट कर भी देंगे तो क्या आपको लगता है कि कांग्रेस उतनी सीट पाएगी जितनी सरकार के बनाने के लिए जरूरी होती है। शायद नहीं। तो फिर ब्राह्मण कांग्रेस को वोट क्यों देगा। इनसे बेहतर तो वो सपा और बसपा के साथ चला जाएगा।