मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में बने रहने वाले कमलनाथ अब प्रदेश में कांग्रेस के पतन का कारण बनते जा रहे है। पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता खुद इस बात को कबूलने लगे है। यही वजह है कि एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में पार्टी की अंदरूनी कलह और खींचतान बढ़ने लगा हैं। अब इसकी वजह कथित तौर पर विंध्य क्षेत्र को लेकर आया पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का बयान है। कमलनाथ के बयान से विंध्य क्षेत्र के कद्दावर नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने नाराज़गी जाहिर की है। इस बार तो कमलनाथ के करीबी नेताओं ने भी उनके उस बयान को निंदनीय बताया है। यानी की इस बार बिना सत्तारूढ़ पार्टी के निशाना साधे मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी का विध्वंस तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है।
क्या कहा कमलनाथ ने?
कुछ ही समय पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के घर पर आने वाले चुनावी दौर की रणनीति पर चर्चा हुई। इस बैठक में कहा जा रहा है कि कमलनाथ ने कहा था कि अगर वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के उप-चुनाव में कांग्रेस को वर्ष 2013 के चुनाव जैसा विंध्य का जन समर्थन मिलता अर्थात कांग्रेस ज्यादा सीटें जीतकर आती तो बात कुछ और होती। इसी बयान के बाद विंध्य क्षेत्र के कद्दावर नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और उनकी जमकर आलोचना की। अजय सिंह का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते इस तरह के बयान कमलनाथ को शोभा नहीं देतें। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोवल गिरता है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस तीन विधानसभा और एक लोकसभा के उप-चुनाव के साथ नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव की तैयारी कर रही है। कमलनाथ को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गयी है। दूसरी ओर वह प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष भी है। इसका मतलब ये हुआ कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी के पुनः उदय की जिम्मेदारी कमलनाथ के हाथों में ही है। कांग्रेस आने वाले समय में किस तरह का प्रदर्शन कर पाती है, वो कमलनाथ पर ही निर्भर करेगा। लेकिन इस तरह के बयान जाहिर तौर पर कलह को आमंत्रण देते हैं। ये पहली बार नहीं है जब कमलनाथ ने पार्टी के हित से हटकर बयान दिया हो। इससे पहले भी वह कुछ ऐसे बयान दे चुकें है जिससे कांग्रेस को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। कमलनाथ को समझना चाहिए कि पार्टी के बागी नेताओं को एकत्रित करने की पूरी जिम्मेदारी उनकी है। वह अपने कर्तव्य से मुंह नहीं फेर सकते। नहीं तो आने वाले दिनों में यह खींचतान और बढ़े तो अचरज नहीं होना चाहिए