मुख्य कलाकार: अजय देवगन, सैफ अली खान, काजोल, शरद केलकर
निर्देशक: ओम राऊत
संगीत: अजय-अतुल
पिछले कुछ सालों में भारत में पीरियड फिल्में बनाने और देखने का क्रेज़ काफी बढ़ गया है। पीरियड फिल्म बनाना अन्य फिल्मों के मुकाबले बेहद पेचीदा काम है। इसे बनाने के लिए आपको पूरी रिसर्च करनी पड़ती है, भव्यता का खास ध्यान रखना पड़ता है और फिल्म की बारीकियों पर भी काफी मेहनत करनी पड़ती है। इन सब मुद्दों पर खरा उतरती हुई ओम राऊत के निर्देशन में बनी फिल्म ‘तानाजी: द अनसंग वॉरियर’ (Tanaji: The Unsung Warrior) सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई है। इस फिल्म से निर्माता एक नई सीरीज़ की शुरूआत कर रहे हैं, जिनमें इतिहास के उन बेहतरीन योद्धाओं के वीर पराक्रम को लोगों तक पहुंचाया जाएगा जिन्होंने इस देश की धरती के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया था। फिल्म में अजय देवगन, सैफ अली खान और काजोल मुख्य भूमिका में नज़र आ रहे हैं। 2 डी के अलावा 3 डी में भी रिलीज़ हुई इस फिल्म में जबरदस्त ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया गया है।
कहानी
यह फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के बचपन के दोस्त तानाजी मालसुरे पर आधारित है। तानाजी (अजय देवगन) (Tanaji) अपनी पत्नी सावित्रीबाई (काजोल) के साथ अपने बेटे की शादी की तैयारियों में व्यस्त होते हैं। वहीं दूसरी ओर औरंगज़ेब दक्षिण भारत में भी मुगल साम्राज्य स्थापित करना चाहता है। और इसके लिए वह अपने वफादार उदयभानु राठौड़ (सैफ अली खान) (Saif Ali Khan) को कोंडाणा किले के जरिए मराठा समुदाय को खत्म करने के लिए एक बड़ी सेना लेकर रवाना कर देता है। यह बात छत्रपति शिवाजी (शरद केलकर) को पता चलती है, लेकिन वह अपने मित्र तानाजी को इस युद्ध में नहीं भेजना चाहते। शिवाजी महाराज सोचते हैं युद्ध के कारण तानाजी के बेटे की शादी में विघ्न पड़ सकता है।
यह बात जैसे ही तानाजी (Tanaji) ( Ajay devgn) के कानों तक पहुंचती है, वे अपने बेटे की शादी की चिंता किए बगैर उदयभानु से युद्ध के लिए निकल पड़ते हैं। वहीं राजमाता जीजाबाई ने भी यह शपथ ले रखी होती है कि जब तक कोंडाणा के किले पर भगवा झंडा नहीं फहरेगा, वह अपनी चरण पादूका नहीं पहनेगी। उदयभानु और तानाजी के बीच 4 फरवरी, 1670 को विशाल युद्ध होता है। इतिहास के पन्नों में यह युद्ध सिंहगढ़ के युद्ध के नाम से जाना जाता है। क्या तानाजी इस युद्ध में उदयभानु को परास्त कर पाते हैं? क्या राजमाता जीजाबाई की शपथ पूरी हो पाती है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
निर्देशन
अभी तक पीरियड फिल्मों की जब भी बात की जाती थी तो निर्देशक आशुतोष गोवारिकर और संजय लीला भंसाली का नाम ही ख्याल में आता था। लेकिन इस सूची मे अब ओम राऊत ने भी अपना नाम दर्ज करा लिया है। ओम ने फिल्म में हर छोटी से छोटी बारीकी का ध्यान रखा है। वीएफएक्स को और ज्यादा मजबूत करने के लिए उन्होंने जर्मनी के एक्शन डायरेक्टर रमाजान की मदद ली है। फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा स्लो नज़र आता है। लेकिन सेकेंड हाफ में युद्ध के जबरदस्त सीन आपको अपनी कुर्सी से हिलने का मौका तक नहीं देंगे। फिल्म का गाना ‘शंकरा रे शंकरा’ पहले ही दर्शकों की ज़ुबान पर रट गया है।
एक्टिंग
फिल्म में एक्टिंग के मामले में सबसे ज्यादा तारीफें सैफ अली खान बटौर रहे हैं। इस फिल्म को देखकर लग रहा है कि सैफ लगातार अपनी एक्टिंग स्किल्स को निखारने की कोशिश कर रहे हैं। तानाजी (Tanaji) के किरदार में अजय देवगन लाजवाब लग रहे हैं। उनके दमदार डायलोग्स दर्शकों को सीटी बजाने पर मजबूर कर देंगे। वहीं काजोल को स्क्रीन पर ज्यादा स्पेस नहीं दिया गया है। ऐसी फिल्मों में अक्सर एक्ट्रेस का काम केवल पति को युद्ध के लिए तैयार करने तक ही सीमित होता है। छत्रपति शिवाजी महाराज के किरदार में शरद केलकर ने अच्छा अभिनय किया है।
क्या है फिल्म की खासियत
बाजीराव मस्तानी और पानीपत समेत मराठा साम्राज्य के वीर पराक्रम को दर्शाने वाली अभी तक कई फिल्में बॉलीवुड में बन चुकी हैं। लेकिन इस फिल्म के जबरदस्त ग्राफिक्स और सैफ-अजय के बीच युद्ध के सीन्स लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इस तरह की फिल्मों का बजट काफी ज्यादा होता है। उम्मीद की जा रही है फिल्म महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कमाई करेगी। अगर आप 3 डी में यह फिल्म देखते हैं तो यकीनन इसका आनन्द दोगुना हो जाएगा।
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