कांग्रेस से नवजोत सिंह सिद्धू को मिला एक और झटका, पंजाब कांग्रेस संगठन में भी नहीं मिलेगा कोई पद

भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में गए और पंजाब सरकार में मंत्री रहे नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस की ओर से एक और झटका दे दिया गया है। कुछ समय पहले उन सभी खबरों पर विराम लग गया था जिनमें यह बताया जा रहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू की सरकार में दोबारा एंट्री हो सकती है। लेकिन अब बताया जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस पार्टी के संगठन में भी नवजोत सिंह सिद्धू को जगह नहीं मिलेगी।

0
408

नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब सरकार के पूर्व मंत्री हैं और जब से उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ा है तब से लगातार कांग्रेस पार्टी में उन्हें किसी प्रकार का सम्मान नहीं मिल रहा है। कुछ समय पहले तक उन सभी खबरों पर विराम लग गया था जिनमें यह बताया जा रहा था कि पंजाब सरकार में दोबारा नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री हो सकती है, वहीं दूसरी तरफ अब यह खबरें भी आ रही है कि पंजाब कांग्रेस के संगठन में भी नवजोत सिंह सिद्धू को जगह नहीं मिलेगी।

कांग्रेस हाईकमान के निर्देशों पर पंजाब में 15 महीनों से भंग हुए संगठन को दोबारा तैयार किया जा रहा है। प्रदेश प्रधान को लेकर स्थिति भी स्पष्ट होने लगी है कि अब पंजाब में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। क्योंकि अभी तक सिद्धू प्रदेश प्रधान बनने को लेकर अड़े हुए थे। इसी कारण पार्टी हाई कमान ने पंजाब में पार्टी का गठन नहीं किया था।पार्टी हाईकमान ने अब जून 2020 में पूर्व प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी की ओर से भेजी गई लिस्ट में ही कांट-छांट कर नई कार्यकारिणी के गठन का फैसला किया है। 2022 में पंजाब के विधानसभा चुनाव होने हैं, इसीलिए सभी पार्टियां अपने-अपने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव कर रही हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी का पूरा ढांचा ही भंग हो गया है।

प्रदेश की कमान हालांकि सुनील जाखड़ के पास ही थी। जाखड़ भी अपनी प्रधानगी को लेकर आश्वस्त नहीं थे, क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू लगातार पार्टी हाईकमान पर प्रदेश की कमान उन्हें सौंपने को लेकर दबाव बना रहे थे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू के नाम को लेकर आश्वस्त नहीं थे।उनका कहना था कि पार्टी के दो प्रमुख पदों पर जट्ट सिख को बैठाने से पार्टी को नुकसान हो सकता था। मुख्यमंत्री व नवजोत सह सिद्धू जट्ट सिख हैं। दोनों का पटियाला से संबंध है। सिद्धू के पास संगठन को चलाने का अनुभव नहीं है।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से मना करने के बावजूद पार्टी हाईकमान ने सिद्धू को पार्टी में एडजस्ट करने की संभावनाएं तलाशने का प्रयास किया था। इसके लिए महासचिव हरीश रावत को प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजा गया। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सभी प्रयास विफल हुए। पहले यह माना जा रहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू को या तो सरकार में या फिर संगठन में बड़ा ओहदा दिया जाएगा।मुख्यमंत्री सिद्धू को कैबिनेट में लेने के लिए तो तैयार थे, लेकिन प्रदेश की कमान सौंपने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हुआ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here