ममता बनर्जी को मिला चुनाव आयोग से एक और नोटिस, केंद्रीय बलों को लेकर दिया था बयान

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ समय पहले केंद्रीय सुरक्षाबलों पर यह आरोप लगाया था कि वह भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर मतदान रोकने की कोशिश कर रहे हैं। उनके इस बयान पर चुनाव आयोग की ओर से एक और नोटिस जारी कर दिया गया है।

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पश्चिम बंगाल की राजनीति समय पूरी तरह चुनाव पर आधारित हो चुकी है। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव इस समय भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस की इज्जत का सवाल बन चुके हैं। ममता बनर्जी किसी भी सूरत में अपने प्रदेश को बचाना चाहती हैं और वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी किसी भी सूरत में पश्चिम बंगाल में अपनी सरकार बनाना चाहती है। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लोग कभी तो अल्पसंख्यक समुदाय को एक होकर तृणमूल कांग्रेस को वोट देने की बात करते हैं। तो कभी ममता बनर्जी असदुद्दीन ओवैसी को बीजेपी का एजेंट बता देती हैं। चुनाव वाले दिन पोलिंग बूथ पर जाकर धरना देने वाली ममता बनर्जी भारत की पहली मुख्यमंत्री बन चुकी हैं।

विपक्षी पार्टियों का कहना है कि ममता बनर्जी की यह बौखलाहट की बताती है कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है। इसी श्रंखला में कुछ समय पहले ममता बनर्जी ने केंद्रीय सुरक्षाबलों पर यह आरोप लगाया था कि वह भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनावों को प्रभावित करने का काम कर रहे हैं। उनके इस बयान पर चुनाव आयोग के द्वारा एक और नोटिस भेज दिया गया।चुनाव आयोग की ओर से कल यानी 8 अप्रैल को भेजे गए दूसरे नोटिस में ममता बनर्जी के उन बयानों का जिक्र है, जिसमें वह केंद्रीय सुरक्षा बलों के रोल पर सवाल उठा रही हैं। टीएमसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने 21 फरवरी को बांग्लादेश बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ पर एक पार्टी के पक्ष में ग्रामीणों को धमकाने का आरोप लगाया था।

ममता को भेजे गए नोटिस में बीएसएफ पर लगे आरोपों पर पर चुनाव आयोग का कहना है कि बीएसएफ पर आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है, बीएसएफ देश ही बेहतरीन फोर्स में से एक है, बीएसएफ पर सवाल उठाना गलत है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने नोटिस में ममता के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें वो कह रही हैं कि वोटरों को मतदान करने से CRPF रोक रही है। अर्द्धसैनिकों बलों की चुनाव कराने में अहम भूमिका है, वह कानून व्यवस्था से लेकर निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराते हैं। आयोग ने कहा कि ममता बनर्जी का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे न केवल चुनाव के दौरान, बल्कि चुनाव के बाद भी केंद्रीय सुरक्षा बलों पर सवाल उठेंगे।

चुनाव आयोग का कहना है कि ममता का बयान चुनाव आचार संहिता के साथ ही आईपीसी की धारा 186, 189 और 505 का उल्लंघन है। ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल को दिन में 11 बजे तक जवाब मांगा हैं। आयोग का कहना है कि अगर ममता बनर्जी जवाब नहीं देती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पहले ममता बनर्जी को मुस्लिमों वोट न बंटने दें’ बयान पर चुनाव आयोग के द्वारा नोटिस भेजा गया था। इस नोटिस पर ममता ने कहा कि चुनाव आयोग चाहे 10 नोटिस जारी कर दे, वे अपने बयान पर कायम हैं. उन्होंने कहा,”मैं उन लोगों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगी, जो बंगाल को धर्म और संप्रदाय में बांटना चाहते हैं। “

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