कृषि संशोधन कानूनों के खिलाफ लगातार किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं। गाजीपुर और सिंधु बॉर्डर पर लोगों को आंदोलन करते हुए 100 से ज्यादा दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक सरकार और किसानों के बीच कोई भी बातचीत अंतिम हल तक नहीं पहुंच पाई है। किसानों का कम होता हुआ यह आंकड़ा किसान नेताओं के लिए चिंता का कारण बन चुका है। 26 जनवरी 2021 के दिन लाल किले पर घटित हुई घटना के बाद दो प्रमुख किसान संगठनों ने इस आंदोलन से अपने हाथ पीछे कर लिए थे और उसके बाद से लेकर अब तक लगातार किसान इस आंदोलन से पीछे हटते हुए दिखाई दे रहे हैं। यूपी गेट पर किसानों का यह आंकड़ा 200 से भी नीचे आ चुका है वहीं दूसरी तरफ कई सारे टेंट भी उखड़ते नजर आ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि 28 नवंबर को जब यूपी गेट पर किसानों का धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ था तो यहां पर युवा हजारों की संख्या में धरनास्थल पर मौजूद थे। आलम यह था कि युवा मंच भी संभालते थे और धरनास्थल की सभी व्यवस्था युवाओं के हाथ ही थीं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष गौरव टिकैत भी अक्सर यहां पर पहुंचकर युवा प्रदर्शनकारियों में जोश भरते थे। 3 महीने के बाद जब मार्च का महीना अपने मध्य में आ चुका है तब लगातार किसानों की यह घटी हुई संख्या किसान आंदोलन को कमजोर कर रही है। बहुत सारे लोग किसान आंदोलन में राजनीतिक नेताओं की एंट्री के बाद से अपने कदम इस आंदोलन से पीछे रह चुके हैं। मंगलवार रात को नोएडा और दिल्ली के बीच जो बूंदाबांदी हुई थी उसके बाद लगभग 10 से 12 टेंट वहां से उखड़ गए। बहुत सारे प्रदर्शनकारियों का सामान इस बारिश में भीग गया और अब वे लोग अपने कपड़ों तथा अन्य सामान को सुखा रहे हैं।