देशभर में चलाए जाने वाला किसान आंदोलन और राजनीतिक रंग ले चुका है। स्वयं को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का नेता मानने वाले राकेश टिकैत के आंसुओं ने एक बार फिर इस आंदोलन को उग्र कर दिया है। दिल्ली को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। काफी संख्या में दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान इस इलाके की सुरक्षा कर रहे हैं। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के बाद हुई हिंसा को लेकर अब केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार हरकत में आ चुकी है। दोबारा देश की राजधानी या किसी भी राज्य में इस प्रकार की है घटना ना हो, इसीलिए लगातार खुफिया एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया गया है। गाजीपुर बॉर्डर पर जब 28 जनवरी को उत्तर प्रदेश की पुलिस पहुंची थी। तब ऐसे लग रहा था कि आंदोलन समाप्त हो जाएगा लेकिन राकेश टिकैत के रोने के कारण यह पूरा माहौल बदल गया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के काफी सारे किसानों के साथ दोबारा गाजीपुर बॉर्डर पर एकत्रित हो गए।
इसी आंदोलन को तमाम राजनीतिक दलों ने अपना समर्थन दे दिया है चाहे वह आम आदमी पार्टी हो, और बहुजन समाज पार्टी हो या फिर उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी हो। इस आंदोलन के सहारे अपनी राजनीति चमकाने के लिए शिवसेना के नेता संजय राऊत भी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचें। इसी जानकारी खुद संजय ने ट्विटर के माध्यम से दी।
किसान आंदोलन झिंदाबाद!
will visit protesting farmers at Gazipur today at 1 pm..
जय जवान
जय किसान!— Sanjay Raut (@rautsanjay61) February 2, 2021
इससे पहले महाराष्ट्र में भी किसानों के आंदोलन को तेज करने का कार्य महाराष्ट्र सरकार के द्वारा किया जा रहा है। जिसमें प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार। शिवसेना की ओर से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में चल रहे आंदोलन में अपना प्रतिनिधि भेजने के लिए पार्टी ने संजय रावत के नाम का चयन किया था। शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा, ”मुझे उद्धव ठाकरे जी ने खास तौर पर भेजा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री किसानों के समर्थन में हैं। 26 जनवरी के बाद हमने जो माहौल देखा और जिस तरह राकेश टिकैत जी के आंखों में आंसू देखे, उसके बाद हम कैसे रह सकते थे?” राउत ने कहा, ”बॉर्डर पर हाल ही में जो कुछ भी हुआ है उससे पूरा देश बीजेपी से नाराज है, वहीं राकेश टिकैत जो तय करेंगे वही हमारी आगे की रणनीति होगी।”