भारत में इस समय जहां भी सरकार विरोधी प्रदर्शन होते हैं। वहां पर अडानी अंबानी के अलावा एक और नाम जोर-शोर से लिया जाता है वह नाम होता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का। संघ के लोगों को मारने संघ को खत्म करने की बातें इन प्रदर्शनों में कहीं जाती हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि जो लोग आर एस एस की फुल फॉर्म भी नहीं जानते वह लोग भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बायकाट करने तथा उनके ऑफिसों को तोड़ने की बात करते हैं। वहीं दूसरी तरफ देश को हिंदू तथा मुसलमान में खुलेआम बांटने वाली पार्टी ए आई एम आई एम के लाखों समर्थक हमारे ही देश में पाए जाते हैं। यदि आप असदुद्दीन ओवैसी अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ कुछ भी कहें तो लोगों के द्वारा आप पर उल्टे सीधे आरोप लगाए जाते हैं। संघ के प्रथम सरसंघचालक हेडगेवार ने अपने घर पर 17 लोगों के साथ गोष्ठी में संघ के गठन की योजना बनाई। इस बैठक में हेडगेवार के साथ विश्वनाथ केलकर, भाऊजी कावरे, अण्णा साहने, बालाजी हुद्दार, बापूराव भेदी आदि मौजूद थे।
राष्ट्र की सेवा में संघ हुआ है समर्पित
संघ के साथ बहुत सारी गलत बातें जोड़ी जाती हैं लेकिन लोग यह नहीं जानते कि संघ वही संगठन है। जब 1962 में चीन ने कायराना तरीके से भारत की सरहद पर हमला किया था। तब भारत के सरहदी इलाकों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने ही रसद पहुंचाने का कार्य किया था, उस समय वहां के निवासियों के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक देवदूत बनकर आए थे।इससे प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नेहरू ने 1963 में गणतंत्र दिवस की परेड में संघ को बुलाया था।1965 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान दिल्ली में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में संघ ने मदद की थी। 1977 में आरएसएस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को विवेकानंद रॉक मेमोरियल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया था।
विभाजन के समय जब जम्मू कश्मीर के राजा हरी सिंह यह तय नहीं कर पाए कि उन्हें कश्मीर को भारत में शामिल करना है या पाकिस्तान में उसी बीच बहुत सारे उग्रवादियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया। तब पंडित नेहरू ने तो कोई बड़ा कदम नहीं उठाया लेकिन सरदार पटेल ने दूसरे सरसंघचालक गुरुजी गोलवलकर से मदद मांगी। गुरुजी श्रीनगर पहुंचे, महाराजा से मिले, इसके पश्चात जम्मू कश्मीर की ओर से भारत के लिए विलय पत्र दिल्ली भेजा गया।
संघ के उद्देश्य
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बहुत सारे उद्देश्य हैं, जिनमें कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारतीय विद्यार्थी परिषद, शिक्षा भारती, एकल विद्यालय, स्वदेशी जागरण मंच, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की स्थापना की। विद्या भारती आज 20 हजार से ज्यादा स्कूल चलाता है, लगभग दो दर्जन शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज, डेढ़ दर्जन कॉलेज, 10 से ज्यादा रोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थाएं चलाता है। केन्द्र और राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त इन सरस्वती शिशु मंदिरों में लगभग 30 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं और 1 लाख से अधिक शिक्षक पढ़ाते हैं। संख्या बल से भी बड़ी बात है कि ये संस्थाएं भारतीय संस्कारों को शिक्षा के साथ जोड़े रखती हैं।
इसके बावजूद भी बहुत सारे आरोप संघ पर लगाए जाते हैं जो कि बेबुनियाद है। जो लोग कहते हैं कि हमारे परिवार के लोगों ने देश के लिए खून दिया है वह लोग कभी यह नहीं बताते कि उन्हीं लोगों ने अपने आप को भारत रत्न भी दे दिया था। इसीलिए दूसरे पर उंगली उठाने से पहले लोगों को देखना चाहिए कि उनके आंगन में क्या हुआ है उनके पूर्वजों ने क्या किया है?
मुस्लिमों की तुष्टिकरण है AIMIM का एजेंडा
अकबरुद्दीन ओवैसी और असदुद्दीन ओवैसी केवल भड़काऊ भाषणों के द्वारा देश के बहुसंख्यकों चुनौती देना जानते हैं, लेकिन बहुसंख्यको की चुनौती को स्वीकार करना उनके बस की बात नहीं है। इनकी पार्टी के नेताओं के द्वारा केवल यही कहा जाता है कि अगर हमें देश से बाहर करना चाहते हो, तो सुन लो कि जब हम भारत से बाहर जाएंगे तो ताजमहल लेकर जाएंगे, कुतुब मीनार लेकर जाएंगे, सुनहरी मस्जिद लेकर जाएंगे, तमाम बड़ी-बड़ी इमारतों के बारे में जिक्र भी किया जाता है… अब तक हमारे देश के लोग भी इसका जवाब नहीं दे पाते थे लेकिन अब जब से देश में सरकार का परिवर्तन हुआ है तब से लगातार हजारों की संख्या में ऐसे मंदिर लोगों के सामने आ रहे हैं,जिन्हें देखने के बाद लोगों को चक्कर आने लगते हैं। लोग सोचने लगते हैं कि इस तरह की कलाकारी आज से हजारों सैकड़ों वर्ष पहले बिना किसी आधुनिक यंत्र के कैसे की जा सकी होगी?
- बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर, तमिलनाडु
- कैलाशनाथ मंदिर, एलोरा
- चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक
- तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड
- आदि कुंभेश्वर, तमिलनाडु
- जगत पिता ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान
- वरदराजा पेरुमल मंदिर, तमिलनाडु
- कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा
- राजस्थान के माउंट आबू के पास दिलवाड़ा मंदिर
- पंचरत्न मंदिर, बांकुरा, पश्चिम बंगाल
- बादामी गुफा मंदिर, कर्नाटक
- विट्ठल मंदिर, हम्पी, कर्नाटक
- ओरछा मंदिर, मध्य प्रदेश
केवल इन मंदिरों के बारे में यदि हमारे देश के लोग पढ़ लें या इन मंदिरों के एक बार दर्शन कर लें तो उनका यह भ्रम टूट जाएगा कि दुनिया में जो भी कुछ श्रेष्ठ है वह मुगलों ने बनाया है। अब आपको तय करना है कि आपको राष्ट्र की सेवा करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों के साथ होना है या फिर मुस्लिमों को भड़काने वाले और देश को तोड़ने की साजिश रचने वाले एआईएमआईएम जैसे संगठनों के साथ।