पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे ही बांगाल का राजनैतिक माहौल गर्माता जा रहा है। ममता सरकार के गढ़ में भाजपा ने सैंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। जमीनी स्तर पर खुद भाजपा के राष्ट्री अध्यक्ष और राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह स्थिति का जायजा ले रहें हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव इसी साल होने वाले हैं। कुछ ही महीनो बाद इस विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भी कर दिया जाएगा। इस बार चुनाव पूरी तरह से ममता बनर्जी की टीएमसी पार्टी और बीजेपी के बीच माना जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में अमित शाह और जेपी नड्डा के रोड शो को मिला जनसमर्थन इस बात की गवाही दे रहा है कि इस बार ममता बनर्जी के लिए चुनाव जीतना उतना आसान नहीं रहने वाला।
दूसरी तरफ राजनीतिक उठक पठक का माहैल भी ममता सरकार के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। दरअसल टीएमसी और अन्य दलों के कई बड़े नेता बीजेपी का दामन थाम चुकें हैं। ये सिलसिला अभी भी लगातार जारी है। लेकिन इन नेताओं में शुभेंदु अधिकारी का बीजेपी में शामिल होना ममता बनर्जी के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी बीजेपी के लिए चुनाव में सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकते हैं। शुभेंद्रु अधिकारी की बात करें तो वह पिछले कुछ समय से लतागार ममता बनर्जी और टीएमसी से नाराज चल रहे थे। पिछले ही साल उन्होनें टीएमसी से अलग रैली भी की थी और मंच से ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाकार बगावती सुर भी छेड़ दिए थे। वहीं अब उन्होनें भाजपा का साथ देकर पश्चिम बंगाल के चुनावों को और दिलचस्प बना दिया है। कहा जाता है कि बंगाल की धरती पर शुभेंदु अधिकारी का कद उतना ही बड़ा है जितना ममता बनर्जी का। आईए जानते हैं शुभेंदु अधिकारी आखिर हैं कौन और विधनासभा चुनावों में वह बीजेपी की जीत का कारण कैसे बन सकते है?
कौन है शुभेंदु अधिकारी?
शुभेंदु अधिकारी ममता सरकार में परिवहन मंत्री थे। उन्होंने 27 नवंबर को मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था। शुभेंदु अधिकारी को जनाधार वाले एक प्रभावशाली नेता के तौर पर माना जाता है। कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल में उनके समर्थक काफी मात्रा में हैं। शुभेंदु 36 साल की उम्र में पहली बार 2006 में कांथी दक्षिण सीट से विधायक चुने गए थे। शुभेंदु 2009 और 2014 में तुमलुक लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे। उन्होंने 2016 में नंदीग्राम विधानसभा से जीत दर्ज की। जिसके बाद ममता सरकार नें उन्हें अपनी कैबिनेट में मंत्री चुना।
नदींग्राम आंदोलन के मास्टर माइंड
ममता बनर्जी के नेतृत्व में 2007 में नंदीग्राम आंदोलन हुआ था। इसी आंदोलन के बाद बंगाल की धरती से लेफ्ट की सरकार का राज पूरी तरह से खत्म हो गया था। इस आंदोलन का खाका शुभेंदु ने ही तैयार किया था। और यहीं से उनके राजनीतिक करियर को एक अलग मुकाम मिला। शुभेंदु उस वक्त कांती दक्षिण सीट से विधायक भी थे।ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में शुभेंदु शिल्पी की भूमिका में रहे थे। उस दौरान शुभेंदु अधिकारी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी भारी समर्थन मिला था। ऐसा माना जाता है कि इसी आंदोलन के बाद टीएमसी ने पश्चिम बंगाल की जनता के बीच पकड़ को और मजबूत कर लिया था।
ममता सरकार से कलह का कारण?
शुभेंदु अधिकारी का ममता सरकार से यूं अचानक मूंह मोड़ लेने के पीछे का कारण ममता बमर्जी के भतीजे अभिषेक को बताया जा रहा है। दरअसल ममता पार्टी के दूसरे नेताओं की तुलना में अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को अधिक अहमियत दे रही हैं और अघोषित रूप से उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना चुकी हैं। उनका परिवारवाद किसी से छिपा नहीं है। दूसरी तरफ पार्टी के अन्य नेता भी शुभेंदु अधिकारी के बढ़ते कद को देखकर उन्हें निशाने पर लेने की कवायद शुरु कर चुके थे।
टीएमसी को बर्बाद कर सकते हैं शुभेंदु अधिकारी
ममता बनर्जी भी इस बात को अच्छी तरह से जानती हैं कि शुभेंदु अधिकारी खुद की दम पर पश्चिम बंगाल से टीएमसी को उखाड़ फेंक सकते हैं। शुभेंदु का राजनीतिक करियर कुछ नया नहीं है। उनके पिता शिशिर अधिकारी मनमोहन सरकार में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। पूर्वी मिदापुर में उनकी अच्छी पकड़ है। इसी विधानसभा के अंतर्गत कुछ 16 सीटें आती हैं। इसके अलावा पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों की करीब 5 दर्जन सीटों पर अधिकारी परिवार का प्रभाव माना जाता है। इन सभी जगाहों पर अगर टीएमसी को मजबूती मिली तो उसमें शुभेंदु अधिकारी का सबसे बड़ा योगदान रहा था। ऐसे में पश्चिम बंगाल में इस बार बीजेपी के लिए शुभेंदु बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं।
शुभेंदु अधिकारी के साथ कई अन्य नेता भी भाजपा में शामिल
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के छोटे भाई और तृणमूल कांग्रेस नेता सौमेंदु अधिकारी कई पार्षदों और कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हो गए। अब शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि सौमेंदु के साथ 5 हजार लोग भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत लगभग पक्की मानी जा सकती है।