कांग्रेस पार्टी ने भारत के लोकतंत्र पर सर्वाधिक समय तक राज किया था। आजादी के पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ और उसी कांग्रेस के नेताओं ने आगे बढ़कर भारत की आजादी के लिए लड़ाई भी लड़ी हालांकि उस लड़ाई में बहुत सारे लोग हिंसक थे तथा बहुत सारे लोग अहिंसा के समर्थक थे। कांग्रेस से बगावत करने के बाद बहुत सारे क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग दिया,जिसके बाद हमें आजादी प्राप्त हुई। आजादी मिलने के बाद भारतीय क्रांतिकारियों के परिवारों के हाथों में कुछ भी नहीं लगा, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों को विरासत में सत्ता प्राप्त हो गई।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू उसके बाद लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी,राजीव गांधी,मनमोहन सिंह,सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी के हाथों में आने वाली कांग्रेस आज किस हालत में पहुंच चुकी है हम सभी जानते हैं। कांग्रेस पार्टी ने कई दशकों तक भारत पर राज किया है लेकिन आज वही कांग्रेस पार्टी कई राज्यों में दहाई का आंकड़ा प्राप्त नहीं कर पा रही है। किसी समय में भारत के आधे प्रतिशत हिस्से पर राज करने वाली कांग्रेस आज केवल चार से पांच राज्यों तक सीमित हो चुकी है।
भाजपा की जीत का सफर
वहीं दूसरी तरफ केवल 2 सीटों से अपना सफर तय करने वाली पार्टी आज 303 सीटों पर पहुंच चुकी है और भारत के अधिकतम राज्यों में उसी पार्टी की सरकार है चाहे तो वह पूर्ण बहुमत में हो या फिर किसी दल के समर्थन से। अगर आप भाजपा के सियासी सफर की बात करेंगे, तो यह सफर निम्न प्रकार रहा:
1984 : 2 सीटें
1989 : 85 सीटें
1991 : 120 सीटें
1996 : 161 सीटें
1998 : 182 सीटें
1999 : 182 सीटें
2004 : 138 सीटें
2009 : 116 सीटें
2014 : 282 सीटें
2019 : 303 सीटें
कांग्रेस पार्टी की हार
भारतीय जनता पार्टी के विजय का सबसे बड़ा कारण है कि पार्टी में वंशवाद बहुत कम दिखाई देता है। भारतीय जनता पार्टी के अब तक सभी अध्यक्ष अलग-अलग समय पर बदलते रहे हैं और किसी भी अध्यक्ष का किसी दूसरे अध्यक्ष से कोई रिश्ता कभी भी नहीं रहा। वहीं दूसरी तरफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सोनिया गांधी से राहुल गांधी और राहुल गांधी से फिर सोनिया गांधी के हाथों में जाती हुई हर बार दिखाई देती है। पार्टी में युवा नेताओं की कोई कदर नहीं है केवल राहुल गांधी के नेतृत्व को पूरी पार्टी स्वीकार करती है। इसीलिए माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले कांग्रेस से बगावत कर भाजपा को फायदा पहुंचाया था। उसके बाद सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत की और अभी भी सचिन पायलट लगातार बगावत के स्वर बुलंद कर रहे हैं।
कांग्रेस का सियासी सफर
अगर हम कांग्रेस पार्टी के सियासी सफर की बात करें तो कांग्रेस पार्टी का सियासी सफर निम्न प्रकार रहा:
1951-52 : 264 सीटें
1951 : 371 सीटें
1962 : 361 सीटें
1967 : 283 सीटें
1971 : 352 सीटें
1977 : 157 सीटें
1984 : 415 (अब तक की सबसे बड़ी विजय)
1991 : 232 सीटें
1996 : 140 सीटें
1998 : 141 सीटें
1999 : 114 सीटें
2004 : 145 सीटें
2009 : 206 सीटें
2014 : 44 सीटें (सबसे निराशाजनक)
2019 : 52 सीटें (अमेठी भी हारे)
तो आप सभी आंकड़ों पर जाकर देख सकते हैं कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत के नक्शे पर कितने समय तक राज करती थी? भारत के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की कितनी सीटें आया करती थी और आज कांग्रेस का क्या हश्र है? वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की सरकार केवल राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी में सरकार है। वहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस समय उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, गोवा, कर्नाटक जैसे कई प्रमुख राज्यों में है। अर्थात हम मान सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी की प्रासंगिकता अब भारतीय राजनीति में समाप्त होती जा रही है।