दिल्ली में किसानों का आंदोलन अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्र सरकार के द्वारा भेजे गए सभी प्रस्तावों को कुछ किसान संगठनों ने ठुकरा दिया है। भारत के बहुत सारे किसान संगठन इन कानूनों के समर्थन में आ चुके हैं। ऐसे में इन कानूनों को वापस लेना असंभव दिखाई दे रहा है। भारत सरकार पहले ही कह चुकी है कि हम कानूनों में हर प्रकार का संशोधन करने के लिए तैयार हैं लेकिन कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ किसान संगठनों का कहना है कि पहले सरकार कानून वापस ले उसके बाद किसान अपने अपने गांव को वापस जाएंगे। इस मामले पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने समाचार एजेंसी ANI को बताया,”किसानों ने तीनों नए कृषि संशोधन कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा किया है। हमारी सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार प्रदर्शनकारियों के भ्रम को दूर करने के लिए भी तैयार है। समाधान का रास्ता तो बातचीत के जरिए ही निकल सकता है।”
अलग-अलग प्रदेशों के कई प्रमुख संगठन भाजपा सरकार द्वारा लाए गए इन तीनों कृषि संशोधन कानूनों का समर्थन भी कर रहे हैं। वही बहुत सारे संगठन ऐसे हैं जो अपनी जिद पर अड़े हुए हैं उन्हें हर हाल में कानूनों को वापस कराना है।ये आंदोलन अब राजनीति की भेंट चढ़ता हुआ भी दिखाई दे रहा है। क्योंकि इस आंदोलन में दिल्ली दंगों के आरोपियों को रिहा करने की मांग की जा रही है, खालिस्तान संबंधित नारे लगाए जा रहे हैं, प्रधानमंत्री को अपशब्द कहे जा रहे हैं। कल इन्हीं कानूनों को वापस कराने के लिए कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और युवा नेता राहुल गांधी राष्ट्रपति महोदय से मिलने गए थे। राष्ट्रपति महोदय से मिलने के पश्चात राहुल गांधी ने कहा है कि केंद्र सरकार को तत्काल यह कानून वापस लेने चाहिए। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी कल विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक विरोध प्रदर्शन करना चाहती थी लेकिन उन्हें हिरासत में ले लिया गया।