नरेंद्र दामोदर दास मोदी को जब भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। तभी से राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना था कि अब भाजपा का स्वर्ण काल प्रारंभ होने वाला है। ठीक ऐसा ही हुआ भाजपा ने लोकसभा के बाद एक-एक करके कई राज्यों में विजय प्राप्त की। जिन राज्यों में भाजपा अपनी सरकार बना नहीं पाई वहां पर भी भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। 6 साल बीत जाने के पश्चात भी अभी भी प्रधानमंत्री के नेतृत्व का जलवा कायम है। जो लहर 6 साल पहले पूरे देश में देखी जा रही थी वैसी ही लहर अभी भी दिखाई दे रही है। कांग्रेस पार्टी का सूरज लगातार डूब रहा है और भाजपा का भगवा ध्वज लगातार भारतीय राजनीति में लहरा रहा है।
कुछ समय पहले ही मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों में भाजपा को मिली विजय ने यह बात सिद्ध कर दी है कि अभी भी लोगों का भारतीय जनता पार्टी पर विश्वास कायम है। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भी तमाम एग्जिट पोल को गलत साबित करते हुए यह बता दिया कि अभी कुछ समय और भारतीय जनता पार्टी भारत की राजनीति की आवश्यकता है।
दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्य प्रदेश में हारने के बाद लगातार यह बातें कहीं जा रही थी कि भारतीय जनता पार्टी अब अपने पतन की ओर है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपना गिरता हुआ ग्राफ दोबारा उठा लिया। अगर हम हाल ही में जम्मू कश्मीर में हुए जिला परिषद के चुनावों की बात करें तो उस में भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा प्रदर्शन किया है जिसकी उम्मीद शायद जम्मू कश्मीर में किसी को भी नहीं थी। दशकों से जम्मू कश्मीर को बर्बाद करने वाले राजनेताओं के सामने जम्मू कश्मीर जिला परिषद के नतीजों ने कई सवाल खड़े कर दिए।
जम्मू कश्मीर जिला परिषद के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 74 सीटें मिली और भारतीय जनता पार्टी जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि गुपकार गठबंधन के सदस्यों ने मिलाकर बहुमत प्राप्त कर लिया है लेकिन उनमें से किसी भी बल्कि इतनी हैसियत नहीं है जो भाजपा को टक्कर दे सके। इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस को 67 सीट, पीडीपी को 27 और कांग्रेस को 26 सीट मिली है। हम आपको बता दें जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद, जम्मू कश्मीर का यह पहला चुनाव है जो बिना किसी संदिग्ध गतिविधि के पूर्ण हुआ है।
जम्मू-कश्मीर में जिला परिषद के चुनाव के नतीजे से साफ हो गया है कि भविष्य में विधानसभा चुनाव कराए जाने की संभावना बढ़ गई है। बीजेपी और पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद से अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं और पिछले साल मोदी सरकार ने 370 भी खत्म कर दिया है। जिला परिषद में जम्मू-कश्मीर की जनता ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया इससे यह माना जा रहा है कि अब जल्द ही विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं क्योंकि जम्मू कश्मीर की जनता अब घाटी में शांति चाहती है और एक स्थाई सरकार भी चाहती है।