पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की परिभाषा बदल कर रख दी गयी है। ममता दीदी अब अपने राज्य में न्यायपूर्ण तरीक़े से चुनाव भी नहीं सम्पन्न होने देना चाहती है। बंगाल में ममता बनर्जी के कार्यकर्ताओं का भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला करना इस बात का संकेत हैं कि बंगाल में लोकतंत्र कितना सुरक्षित है। ममता दीदी के शासन में कोई अन्य पार्टी उनके राज्य में जा के प्रचार भी नहीं कर सकती है। वैसे तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा इस तरह की हरकत करना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बार ममता बनर्जी के नेतागण लोकतंत्र पर प्रहार करते नजर आ चुके हैं। लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि अब तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा किये गए इस कृत्य पर वो पत्रकार भी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं जो खुद को निष्पक्ष पत्रकारिता का रूप कहते हैं।
ये वही निष्पक्ष पत्रकार हैं जो कि सत्तारूढ़ पार्टी के हर छोटे-बड़े कदम पर लोकतंत्र की हत्या का ढिंढोरा पीटते नजर आते हैं। यहाँ तक कि ये निष्पक्ष पत्रकार ईवीएम मशीन पर भी सवाल उठाते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या का नाम देते हैं। लेकिन क्या अब इन्हें बंगाल के भीतर में देश की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष पर हुए जानलेवा हमले और चुनाव को प्रभावित करने के प्रयास में लोकतंत्र की हत्या नहीं नजर आती है?
क्या डराकर बंगाल जीतना चाहती हैं ममता बनर्जी?
आने वाले कुछ ही दिनों में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव के मद्देनजर वहाँ सभी पार्टियाँ अपना जोर लगाती दिख रही हैं। बंगाल में होने वाले इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति काफी मजबूत नजर आ रही है। ऐसे में वहाँ की सत्तारूढ़ टीएमसी बीजेपी के चुनाव प्रचार को बाधित करने के लिए किया गया प्रयास वाक़ई में लोकतंत्र की हत्या का प्रयास है। लेकिन फिर भी लोकतंत्र के रक्षकों को कोई असर होता नहीं दिख रहा है।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस हमले के बाद कहा कि ममता जी हमेशा सच्चाई को छिपाने की कोशिश करती हैं। बंगाल में अराजकता पराकाष्ठा पर है। राज्य प्रशासन ध्वस्त हो गया है और ये सब ममता जी के आशीर्वाद से हो रहा है। बंगाल की जनता जागृत जनता है वो जवाब देना जानती है। ममता जी की ज़मीन खिसक चुकी है जिस वजह से उनको बौखलाहट है। हमारी लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से होगी। हम जनता के बीच जाएंगे और सारी बातें रखेंगे। ममता जी ने जिस तरह से झूठ फैलाया है और लोगों को गुमराह किया है, लोगों के विकास के काम रोके हैं वो जनता तक पहुंचाएंगे।
देश की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर हमले पर केंद्र सरकार सख्त-
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने भाजपा अध्यक्ष के दौरे के समय कथित गंभीर सुरक्षा खामियों को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है। वहीं बंगाल प्रदेश इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया है कि कोलकाता में नड्डा के कार्यक्रमों के दौरान यह देखा गया कि सुरक्षा इंतजामों में गंभीर खामियां थीं। ऐसा पुलिस विभाग की लापरवाही की वजह से था।
इस हमले पर केंद्रीय गृहमंत्री और दिग्गज भाजपा नेता अमित शाह, राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने घोर विरोध जताया है। अमित शाह ने ने कहा कि तृणमूल शासन में बंगाल अत्याचार, अराजकता और अंधकार के युग में जा चुका है। तृणमूल कांग्रेस के राज में पश्चिम बंगाल के अंदर जिस तरह से राजनीतिक हिंसा को संस्थागत कर चरम सीमा पर पहुंचाया गया है। वो लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले सभी लोगों के लिए दु:खद भी है और चिंताजनक भी।
बंगाल में लोकतंत्र को वाक़ई है खतरा-
इस हमले की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इस हमले के जरिये ये संदेश दे दिया है कि उनके मन मे लोकतंत्र के प्रति कितना सम्मान है। और इसके साथ ही ममता बनर्जी ने भी अपनी प्रतिक्रिया से जता दिया है कि बंगाल में कैसा जंगलराज चल रहा है? वहीं विभिन्न पत्रकारों और न्यूज रिपोर्ट्स की खोखली रिपोर्टिंग की भी पोल पट्टी भी खुलकर सामने आ चुकी है। बंगाल में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी अगर वाक़ई में लोकतंत्र का सम्मान करती है तो उन्हें जल्द से जल्द इस हमले के जिम्मेदारों को पकड़कर उन्हें कठोर सजा देनी चाहिए। इसके साथ ही मीडिया के उन बुद्धजीवी लोगो को जो कि हमेशा लोकतंत्र के आस्तित्व की बात करते हैं, उन्हें भी आगे आकर इसके विरुद्ध आवाज बुलंद करनी चाहिए।