मंगलवार को दोपहर 12:00 बजे से 3:00 बजे तक कृषि संशोधन कानूनों के विरोध में भारत बंद रखा गया। जिसका पूरे देश में मिलाजुला असर दिखा। वास्तविक किसानों से ज्यादा सड़कों पर पार्टियों के नेता दिखाई दे रहे थे। किसी सड़क पर ट्रक के पहिए जलाये जाए, तो कहीं बसों के कांच फोड़े गए ।गुजरात में भी भारत बंद का कुछ ऐसा ही असर देखने को मिला।मुख्यमंत्री रुपाणी ने कहा कि वह किसानों के नाम पर राजनीति कर रही है, गुजरात में किसान भारत बंद से अलग रहे हैं। गुजरात में सरकार किसानों के हित में काम कर रही है। विजयरुपाणी ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को धनिया व मेथी में फर्क पता नहीं चलता उन्हें किसान बिल क्या समझ आएंगे।
गुजरात में पूरे दिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच लुका छुपी का खेल चलता रहा। कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता मनीष दोषी ने बताया कि गुजरात में जो कांग्रेस के कार्यकर्ता तथा अन्य संगठन के लोग बाजार बंद करने के लिए निकले तो पुलिस ने उनके साथ धक्का-मुक्की की।कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावडा व गुजरात कांग्रेस प्रभारी एवं सांसद राजीव सातव ने गांधीनगर में धरना देकर प्रदर्शन किया। राजीव का कहना है कि भाजपा किसान विरोधी है और वह इन कानूनों की आड़ में पूंजीपतियों का हित साधना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा में अगर ताकत दिल्ली की सीमा खुल कर बताओ। गुजरात में फसल बीमा की घोषणा हुई थी लेकिन आज तक किसी किसान को उसका लाभ नहीं मिला।
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