शिवसेना ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना, अपने कर्मों का फल भोग रही है सरकार’

शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया कि किसानों की नाराजगी सरकार के कर्मों का फल है। सरकार से किसानों का आंदोलन संभल नहीं रहा है। वे सिर्फ टाइम पास कर रहे हैं। सामना में लिखा गया सरकार कृषि को उद्योग पतियों का निवाला बना रही है। यह देशी ईस्ट इंडिया कंपनी की शुरुआत है।

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चित्र साभार: ट्विटर @OfficeofUT

भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन जब से टूटा है तब से लगातार भाजपा शिवसेना पर और शिवसेना भाजपा पर निशाना साधती रहती है। जो शिवसेना के नेता कल तक प्रधानमंत्री मोदी के गुण गाते थे आज उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बिल्कुल भी पसंद नहीं आती।इसी श्रंखला में शिवसेना की मुख्य पत्र में एक लेख छपा है जिसमें किसान आंदोलन की आड़ में केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया है। शिवसेना के मुख्य पत्र सामना की कुछ प्रमुख बातें!

शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया कि किसानों की नाराजगी केंद्र सरकार के कर्मों का फल है।सरकार से किसानों का आंदोलन संभल नहीं रहा। वे टाइम पास कर रहे हैं। सरकार कृषि को उद्योग पतियों का निवाला बना रही है यह देसी ईस्ट इंडिया कंपनी की शुरुआत है।

दिल्ली में आंदोलनकारियों तथा केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत भी परिणाम रहित रही। किसानों को सरकार के साथ बातचीत में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं आ रही है। सरकार सिर्फ टाइम पास कर रही है टाइमपास का उपयोग आंदोलन में फूट डालने के लिए किया जा रहा। किसान आंदोलनकारियों ने पूछा है, ‘क्या यह कानून रद्द होंगे या नहीं इतना बताओ?’ इस पर सरकार मौन साधे हुए हैं।’

मुख्य पत्र सामना में लिखा गया, ‘सरकार में चुनाव जीतने,जिताने वाले जीत खरीदने वाले लोग हैं। परंतु किसानों पर आसमानी सुल्तान संकट, रोजगारी जैसी चुनौतियों से दो-दो हाथ करने वाले विशेषज्ञों की सरकार में कमी है। मोदी तथा शाह केवल इन दोनों चेहरों को छोड़ दें तो कैबिनेट के सभी अन्य चेहरे निस्तेज हैं। उनकी व्यर्थ भाग दौड़ का महत्व नहीं है। एक समय में प्रमोद महाजन,सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे संकटमोचक थे। किसी संकट काल में सरकार के प्रतिनिधि की हैसियत से यदि इनमें कोई भी आगे गया, तो उनसे चर्चा होती थी और समस्या का हल निकलता था। आज सरकार में ऐसा एक भी चेहरा नजर नहीं आता। इसीलिए चर्चा का 5-5 दौर नाकाम सिद्ध हुआ।’

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