देश में मोदी मैजिक बरकरार, विरोधियों के किले हुए ध्वस्त

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बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सभी दलों ने चुनाव लड़ा और भारी बहुमत हासिल किया। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 74 सीटें मिली, जनता दल यूनाइटेड को 43 सीटें मिली। वही महागठबंधन के दो प्रमुख दल जिसमें राष्ट्रीय जनता दल को सबसे ज्यादा 75 सीट मिली है वहीं कांग्रेस को 19 सीटें मिली हैं।

इस चुनावी नतीजे के बाद एक बात कही जा सकती है कि बड़े-बड़े धुरंधर पत्रकार, बड़े-बड़े धुरंधर चैनल जो कल तक भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन को बिहार में पिछड़ता हुआ दिखा रहे थे। आज वे सभी मायूस होकर अपने अपने चैनल में यह नजारे देख रहे हैं। जो लोग कल तक नीतीश कुमार को हटाकर तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री समझ रहे थे, उनके लिए मंगलवार अमंगल साबित हुआ है। वहीं दूसरी ओर आज भगवान बजरंगबली का दिन है, और भगवान राम के आशीर्वाद से भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया है।

जानिए इस बिहार विधानसभा चुनाव की प्रमुख बातें

इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों की अगर हम मायने निकाले तो फिर नीतीश सरकार के 5 मंत्री हार चुके हैं। इसीलिए बिहार की सरकार में नीतीश कुमार के पास वैसी ताकत नहीं होगी जैसी पिछले बार थी। इसके अलावा चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के चुनावी मैदान में उतरने के कारण जनता दल यूनाइटेड को काफी नुकसान हुआ है। इसीलिए लोक जनशक्ति पार्टी को केंद्र सरकार में जगह बनाने के लिए अब काफी मशक्कत करनी पड़ेगी, क्योंकि नीतीश कुमार उनके मार्ग में रोड़ा अटकाएंगे। इसके अलावा सबसे प्रमुख सवाल यह उठ रहा है कि नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे या भारतीय जनता पार्टी का कोई चेहरा बिहार का मुख्यमंत्री बनेगा!.. इसका उत्तर है नीतीश कुमार यादव खुद बिहार के मुख्यमंत्री का पद छोड़ दें, तभी भाजपा का कोई मुख्यमंत्री बन सकता है! नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री का पद तभी छोड़ेंगे ज़ब उन्हें राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति जैसे प्रमुख पदों पर बैठाया जाए। मजदूरों तथा प्रदेश से पलायन करने वालों का गुस्सा नीतीश कुमार के ऊपर था। जो चुनाव परिणाम साफ साफ दिखा रहे हैं। लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को अच्छी तरीके से नहीं भुना पाया, और कमजोर प्रत्याशी होने के कारण विपक्ष की विजय नहीं हुई।

इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे मोदी के नाम पर हुआ बेड़ा पार

हम आपको बता दें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने यह पूरा चुनाव, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लड़ा था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का केवल एक लक्ष्य था केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता तक ले जाना और यह बताना कि पिछले 6 साल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कौन-कौन सी योजनाएं बिहार में जमीनी हकीकत बनी है? हालांकि नीतीश कुमार को लेकर बिहार के लोगों में आक्रोश था लेकिन भारतीय जनता पार्टी को लेकर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। इसी का परिणाम है कि भारतीय जनता पार्टी बिहार में बड़े भाई की भूमिका में आ चुकी है। इसके अलावा राम मंदिर निर्माण, धारा 370 का हटना और कृषि संशोधन बिलों के आधार पर भारतीय जनता पार्टी ने विरोधियों के मुंह पर ऐसा करारा तमाचा जड़ा है कि कई रातों तक विरोधियों को नींद नहीं आएगी। क्योंकि अब यह बात निश्चित हो चुकी है कि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा प्रस्तावित सभी प्रमुख योजनाएं बिहार की जनता ने स्वीकार कर ली है।

पुष्पम प्रिया को रास नहीं आया बिहार विधानसभा चुनाव

पुष्पम प्रिया और चिराग पासवान जैसे युवा नेता इस चुनाव में कुछ कमाल नहीं दिखा पाए। प्लूरल्स पार्टी की मुखिया पुष्पम प्रिया चौधरी ने दोपहर 2:00 फेसबुक पर लिखा कि बिहार में ईवीएम हैक हो गयी है। प्लूरल्स पार्टी का बोर्ड चुराकर हर बूथ पर वोट एनडीए को ट्रांसफर हो रहे हैं। डेटा साफ है। हमें तो बहुमत था ही नहीं पर एनडीए को भी उतना बहुमत नहीं था। प्लूरल्स पार्टी के वोटों की चोरी ने उनका काम बना दिया है।

लोजपा का चिराग बुझ गया

स्वयं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान भी इस बिहार विधानसभा चुनाव में स्वयं का अस्तित्व ही समाप्त करते हुए दिखाई दिए। ऐसा लग रहा था कि रामविलास पासवान जी की मृत्यु के पश्चात बिहार के लोग सांत्वना के रूप में कम से कम 5 से 6 सीटें तो चिराग पासवान की झोली में डाल ही देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका लोक जनशक्ति पार्टी ने 134 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। और अभी तक कोई भी जीता हुआ नजर नहीं आ रहा है। हालांकि चिराग पासवान की इस बगावत से भारतीय जनता पार्टी को 3% वोट शेयर का फायदा और जनता दल यूनाइटेड को 2% वोट शेयर का नुकसान हुआ है। लोक जनशक्ति पार्टी के कारण जनता दल यूनाइटेड के पांच मंत्री हारे, भारतीय जनता पार्टी के दो मंत्री चिराग पासवान के प्रत्याशियों के कारण हार गए।

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