10 सितंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि एक बार फिर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहें है। एनडीए गठबंधन बिहार चुनावों में बड़ी जीत के बाद बहुमत साबित करने जा रही है। इस लिहाज से महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनने का सपना फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा। 2015 की तरह इस बार भी बिहार का चुनावी समीकरण स्पष्ट तौर पर किसी भी पार्टी के साथ दिखाई नहीं दे रहा था। बिहार चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के बाद सामने आए एक्जिट पोल में तेजस्वी यादव बाजी मारते दिखाई दे रहे थे लेकिन रिजल्ट के दिन कड़े मुकाबले में एक बार फिर नीतीश कुमार पर जनता का विश्वास दिखाई दिया।
चुनाव आयोग के मुताबिक एनडीए ने 125 सीटें जीती हैं, जो बहुमत के लिए जरूरी 122 सीटों से तीन अधिक है। जबकि महागठबंधन की झोली में कुल 110 सीटें आई है। इस चुनाव में 75 सीटों को जीतकर RJD सबसे बड़ी पार्टी बनी है। वहीं 74 सीट जीतकर BJP दूसरे स्सथान पर है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री नें भाजपा की इस जीत को विकासवाद की जीत बताया है। अमित शाह ने ट्वीट के जरिए कहा कि, बिहार की जनता ने खोखलेवादे, जातिवाद और तुष्टिकरण की राजनीति को सिरे से नकार कर NDA के विकासवाद का परचम लहराया है।
बिहार के हर वर्ग ने फिर एक बार खोखलेवादे, जातिवाद और तुष्टिकरण की राजनीति को सिरे से नकार कर NDA के विकासवाद का परचम लहराया है।
यह हर बिहारवासी की आशाओं और आकांक्षाओं की जीत है…@narendramodi जी और @nitishkumar जी के डबल इंजन विकास की जीत है।@BJP4Bihar के कार्यकर्ताओं को बधाई।
— Amit Shah (@AmitShah) November 10, 2020
तेजस्वी यादव ने भले ही नितीश कुमार को कांटे की टक्कर दी हो लेकिन बिहार की जनता को नीतीश कुमार और भाजपा अपने चुवानी मुद्दों से लुभा पाने में कामयाब रही।
नीतीश ही बनेंगे मुख्यमंत्री
भाजपा करीब आधी सीटों पर रुझान स्पष्ट होने के बाद नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री के निर्णय पर कायम थी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने मंगलवार को फिर स्पष्ट कर दिया कि बिहार में एनडीए के नेता नीतीश कुमार ही चुने जाएंगे। बिहार की जनता को भी नीतीश कुमार के पिछले 15 साल के कार्यकाल पर पूरा भरोसा है। ऐसे में आने वाले 5 साल और बिहार की सत्ता की चाबी नीतीश कुमार के हाथों में होगी।
फिर फीका पड़ा महागठबंधन का तेवर
बिहार में एक बार फिर मुख्यमंत्री नितीश कुमार के आगे महागठबंधन का जादू फीका दिखाई दिया। बिहार में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष की कड़ी चुनौती को पार करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए ने बिहार में बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल हासिल कर लिया। चुनाव प्रचार के दौरान बहुमत का जादुई आंकड़ा पार करने के लिए दोनों गठबंधन के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक सभा में पत्थर और प्याज मंच की तरफ फेंके गए। लेकिन बिहार की आधे से ज्यादा जनता का विश्वास नीतीश कुमार के पिछले कार्यकाल और चुनावी सभाओं के दौरान किए गए वादों के साथ दिखाई दिया।
नीतीश का विकास पड़ा भारी
हर चुनाव की तरह इस बार भी बिहार की जनता ने विधानसभा चुनाव में लोक लुभावने वादे और नेताओं के इरादों को खूब पढ़ा और समझा। एनडीए ने चुनावी माहौल के बीच अपने तीखे तेवरों और ताबड़तोड़ सभाओं के दम पर जीत हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जुगलबंदी ने मिथिलांचल के लोगों के दिलों में विकास के बूते जगह बनाई। दोनों ही नेताओं ने रैलियों और सभाओं के दौरान उन्हीं मुद्दों को जनता के सामने रखा जो एनडीए के कार्यकाल में किए गए। नीतीश कुमार अपने 15 साल के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों पर अड़े रहे। दरभंगा में एरयपोर्ट, एम्स और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की स्थापना, 1934 से दो भागों में बंटे मिथिलांचल को कोसी रेल महासेतु से जोड़ा जाना, युवाओं को रोजगार, महागठंबधन का जंगलराज, इन सभी मुद्दों के दम पर नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार की जनता के लिए स्थापित हो गए।
कोरोना काल एनडीए के लिए बना जीवनदान
कुल मिलाकर देखा जाए तो कोरोना काल एनडीए और नीतीश कुमार के लिए एक प्रकार से जीवनदान साबित हुआ। विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने का साथ नीतीश कुमार ने कोरोना काल के दौरान लिए गए फैसलों को भी जनता के सामने रखा। पिछले 20 से 25 दिनों में कोरोनो वैक्सीन को लेकर भी भाजपा ने बड़ा दांव खेला। बिहारवासियों के लिए कोरोना का टीका निशुल्क होगा। ये भारतीय जनता पार्टी के चुनावी संकल्प पत्र का हिस्सा था। इसे लेकर एनडीए और भाजपा के तमाम नेताओं ने बिहार की जनता पर अपनी अलग छाप कायम रखी।
बिहार के लिए एनडीए के वादे
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में बिहार की जनता के लिए कई वादों की सौगात दी। एनडीए ने कहा था कि हमारी योजना से 19 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा बिहार की एक करोड़ और महिलाओं को स्वावलंबी बनाएंगे। आईटी के क्षेत्र में 5 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आने वाले 5 सालों में 30 लाख आवास और बनाने का लक्ष्य एऩडीए ने बिहार की जनता के सामने रखा।
तेजस्वी यादव का मास्टर स्ट्रोक ही बना हार का कारण
बिहार चुनाव के बिगुल से पहले ही तेजस्वी यादव ने स्पष्ट कर दिया था कि इस बार महागठबंधन शिक्षा व्यवस्था और रोजगार के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगा और ये बिहार की राजनीति में उनके लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होगा। इतना ही नहीं, तेजस्वी यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी शपथ के दौरान ही 10 लाख युवाओं को रोगजार मुहैया कराएगी। बिहार की जनता के लिए तेजस्वी यादव का ये वादा समझ से परे रहा। वहीं उनकी शिक्षा ही उन पर भारी पड़ गई। तेजस्वी यादव खुद 8वीं पास है। सोशल मीडिया पर लोगों का यही तर्क है कि जो आदमी खुद 8वीं पास हो वो शिक्षा की एहमियत क्या जानेगा।
नहीं चला चिराग पासवान और पुष्पम प्रिया का जादू
बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री पद की स्वघोषित उम्मीदवार पुष्पम प्रिया चौधरी सुपर फ्लॉप साबित हुई हैं। तो चिराग पासवान भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। दोनों ही युवा नेता नितीश कुमार के आगे बुरी तरह से घुटने टेकते नजर आए। पुष्पम प्रिया तो अपनी दोनों ही विधानसभा सीटें बचा पाने में भी कामयाब नहीं रही। जबकि चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ती पार्टी के खाते में केवल एक ही सीट आयी।