अर्नब की गिरफ्तारी तो शिवसेना सांसद की क्यों नहीं? न्याय को राजनीतिक चश्मे से क्यों देख रहे हैं सीएम उद्धव, जानिए क्या है पूरा मामला

अर्नब के गिरफ्तारी के बाद शिवसेना के सांसद ओमप्रकाश राजे निंबालकर को भी गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है। साल 2019 में किसान दिलीप धवले ने आत्महत्या कर लिया था। सुसाइड नोट में शिवसेना सांसद ओमप्रकाश राजे निंबालकर का नाम था। सुसाइड नोट के अनुसार किसान दिलीप धवले के मौत के जिम्मेदार शिवसेना सांसद ओमप्रकाश राजे निंबालकर हैं। किसान दिलीप कर्ज में डूबे थे, कर्ज न चुका पाने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर लिया, जिसका आरोप शिवसेना सांसद ओमप्रकाश राजे पर है।

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भारत के गरिमा को अलंकृत करने वाले आभूषणों में लोकतंत्र का नाम सर्वोपरि है। लोकतंत्र कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया को एक सूत्र में बांधता है। परंतु जब लोकतंत्र पर ही आंच पड़ जाए तो भारत की गरिमा पर चोट पहुंचना लाजमी है। रिपब्लिक भारत के मुख्य संपादक अर्नब गोस्वामी को हाई वोल्टेज ड्रामा के साथ बुधवार सुबह उनके फ्लैट से गिरफ्तार कर अलीबाग थाने ले जाया गया। गिरफ्तारी के बाद गृह मंत्री अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी, समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने इसे बदले की भावना और आपातकाल से जोड़ के देखा। अर्नब के गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया वालों ने अपने अपने स्तर से इस मामले में खूब बवाल काटा। अर्नब की गिरफ्तारी के बाद लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि अगर उनकी गिरफ्तारी बदले की भावना से नहीं हुई है तो शिवसेना अपने सांसद को कब गिरफ्तार करेगी?

शिवसेना सांसद की कब होगी गिरफ्तारी?

अर्नब के गिरफ्तारी के बाद शिवसेना के सांसद ओमप्रकाश राजे निंबालकर को भी गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है। साल 2019 में किसान दिलीप धवले ने आत्महत्या कर लिया था। सुसाइड नोट में शिवसेना सांसद ओमप्रकाश राजे निंबालकर का नाम था। सुसाइड नोट मिलने के बाद शिवसेना सांसद को किसान के मौत का जिम्मेदार ठहराया जाने लगा। किसान दिलीप कर्ज में डूबे थे, कर्ज न चुका पाने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर लिया जिसका आरोप शिवसेना सांसद ओमप्रकाश राजे पर है। अब सवाल यह उठता है कि क्या उद्धव सरकार अब अपने सांसद पर भी अर्नब की तरह ही त्वरित कार्यवाही करेगी?

बदले की भावना से हुई अर्नब की गिरफ़्तारी!

इस बात के सत्यता की पड़ताल करना बहुत कठिन नहीं है कि महाराष्ट्र सरकार कितना दूध की धूली है? यदि सच में अर्नब की गिरफ्तारी बदले की भावना से नहीं बल्कि एक व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए की गई है तो महाराष्ट्र पुलिस शिवसेना सांसद ओम प्रकाश राजे निंबालकर को कब गिरफ्तार करेगी?

किसान की आत्महत्या पर उद्धव सरकार क्यों है मौन?

वर्ष 2019 में किसान दिलीप धवले ने कर्ज न चुका पाने के कारण आत्महत्या कर लिया था। सुसाइड नोट में उन्होंने शिवसेना सांसद ओमप्रकाश राजे निंबालकर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। मृतक किसान का परिवार अभी तक न्याय की तलाश में है। किसान के परिवार ने सीएम उद्धव ठाकरे से मांग की है जिस तत्परता से पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के पत्रकार के खिलाफ कार्यवाई की है उसी तत्परता से उन्हें भी न्याय मिलना चाहिए।

कर्ज न चुका पाने के कारण किसान दिलीप ने की आत्महत्या

दिलीप धवले उस्मानाबाद के तड़वाले गांव के रहने वाले थे। आत्महत्या से पहले उन्होंने दो सुसाइड नोट छोड़ा था। उस्मानाबाद पुलिस किसान की आत्महत्या के बाद उन्हें उकसाने और धोखाधड़ी के कथित आरोपों में शिवसेना सांसद समेत 56 लोगों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज किया था। सुसाइड नोट के अनुसार आत्महत्या का कारण जमीन की नीलामी और सूखे के कारण कर्ज ना चुका पाना है। किसान की पत्नी वंदना धवले ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मांग की है कि दिलीप धवले की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार शिवसेना सांसद और अन्य आरोपियों को तत्काल आदेश किया जाना चाहिए।

साधुओं के लिए न्याय मांगना क्या गुनाह है?

मुंबई के पालघर में कुछ महीनों पहले पुलिस की मौजूदगी में 2 साधुओं को भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी। इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे हिंदुस्तान के लोग आक्रोशित थे। उसी समय साधुओं को न्याय दिलाने रिपब्लिक भारत मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार से कई ऐसे सवाल पूछे जिसका जवाब महाराष्ट्र सरकार के पास नहीं था। परंतु आज तक साधुओं के हत्यारों को नहीं पकड़ा गया है, उसी वक्त अपने रोजाना कार्यक्रम “पूछता है भारत” में अर्नब गोस्वामी सोनिया गांधी को लेकर कुछ आपत्तिजनक बोल गए थे, जिसके बाद पुलिस ने उनसे 12 घंटे तक पूछताछ की थी। परंतु साधुओं के हत्यारों का पता महाराष्ट्र पुलिस नहीं लगा पाई। यही कारण है कि शिवसेना पर सवाल उठने शुरू हो गये थे कि शिवसेना किसके इशारे पर काम कर रही है।

किसके इशारे पर शिवसेना कर रही है कार्यवाई?

शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर हमेशा चुनाव लड़ती थी। हिंदुत्व शिवसेना को ऑक्सीजन की तरह जरूरी था। परंतु महाराष्ट्र में जबसे खिचड़ी सरकार का गठन हुआ है तब से शिवसेना के हिंदुत्व पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीएम तो जरूर उद्धव ठाकरे हैं परंतु सत्ता की बागडोर कांग्रेस के हाथों में है और यही कारण है कि शिवसेना अभिव्यक्ति की आजादी का हनन करने पर उतर आई है। अभिनेत्री कंगना रनौत ने जब महाराष्ट्र सरकार की मुखालफत की तब बदले की भावना से अभिनेत्री के ऑफिस को तोड़ दिया गया था और अब एक पत्रकार के अभिव्यक्ति की आजादी का हनन किया जा रहा है। आखिर ये कहां तक मुनासिब है? सवाल ये उठता है कि क्या शिवसेना अब कठपुतली की तरह हो गई है, क्या सीएम उद्धव ठाकरे के हाथ में महाराष्ट्र की बागडोर नहीं है। आखिर सीएम उद्धव किसके इशारे पर कार्य कर रहे हैं!

टीआरपी में नंबर वन पर पहुंचा रिपब्लिक भारत

सुशांत मुद्दे की मुहिम छेड़ने के बाद रिपब्लिक टीवी टीआरपी के मामले में नंबर वन पर पहुंच गया। उस वक्त अन्य निजी चैनलों ने भी टीआरपी की रेस में भागना शुरू कर दिया और सुशांत सिंह के मामलों को गंभीरता से वजूद देना प्रारंभ कर दिया। कुछ ही महीनों बाद रिपब्लिक भारत के फर्जी टीआरपी की बात सामने आई जिसे अर्नब ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र पुलिस की साजिश है। हालांकि सत्यता की जांच पुलिस कर रही है।

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