मराठा आरक्षण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब 4 अप्रैल तक के लिए टल गई है। इसी बीच बुधवार को महाराज छत्रपति शिवाजी राजे के वंशज और भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद उदयनराजे भोसले ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। बुधवार को उदयन राजे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण को स्थगन दिए जाने के बाद मंगलवार को इसकी पहली सुनवाई होनी थी। लेकिन सरकारी वकील उपस्थित न होने की वजह से कुछ समय के लिए मामले की सुनवाई टाल दी गई। ऐसे में मराठा आरक्षण को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है। सरकार और वकीलों में कोई सामंजस्य नहीं है और यह साबित भी होता है। इसलिए मराठा आरक्षण को लेकर सरकार का रुख संदिग्ध है। उन्होंने आगे कहा, ” मराठा आरक्षण को स्थगित किए जाने के बाद 4 सप्ताह बीत गए हैं, फिर भी सरकार सुस्त है। आरक्षण का परिणाम नहीं आने की वजह से हजारों छात्रों के एडमिशन पर समस्या बनी हुई है, सैकड़ों युवाओं की नौकरी का मुद्दा पेंडिंग पड़ा है, इसके बावजूद सरकार जाग नहीं रही है। ”
राजे ने यह भी कहा, “इससे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दशहरा सम्मेलन में मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए कटिबद्ध घोषणा की थी। लेकिन लगता है कि मराठा आरक्षण को लेकर सरकार ने कोई दिशानिर्देश तय नहीं किया है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखने वाले वकील ही मौजूद नहीं है। इसलिए कोर्ट ने कुछ समय के लिए मामले की सुनवाई टाल दी है। इस पर महाराष्ट्र सरकार को शर्म आनी चाहिए, अब सरकार तुरंत ठोस कदम उठाए नहीं तो मराठा समाज सरकार को सबक सिखाएं बिना नहीं रहेगा।” उदयन ने यह भी कहा, ” अगर सरकार चाहती है कि मराठा आरक्षण की सुनवाई संविधान पीठ करें तो डेढ़ महीने पहले ही मांग क्यों नहीं की गई? डेढ़ महीने का समय क्यों बर्बाद किया गया!”
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